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ईरानी महिला मानवाधिकार कार्यकर्ता को नोबेल शांति पुरस्कार

नार्गेस मोहम्मदी वर्तमान में तेहरान में 10 साल की जेल की सजा काट रही है।

सुश्री मोहम्मदी, जिन्होंने ईरान में सरकारी दुर्व्यवहार के बारे में विस्तार से रिपोर्टें की हैं, उनकी आवाज उठाई है, आजकल जेल में हैं और जेल में रहने के दौरान भी विरोध प्रदर्शन और सविनय अवज्ञा के अन्य रूपों का आयोजन किया है। उन्‍होंन ईरान में ही रहने और अपनी सक्रियता जारी रखने की कसम खाई है, भले ही इसके लिए उन्हें अपना शेष जीवन जेल में बिताना पड़े।

ईरान की जेल में 10 साल की सजा काट रही ईरानी मानवाधिकार कार्यकर्ता नर्गेस मोहम्मदी को ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ और सभी के लिए मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने की उनकी लड़ाई के लिए 2023 का नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।  ईरान में सरकार द्वारा महिलाओं के उत्पीड़न को मीडिया के माध्‍यम से दुनिया के ध्‍यान में लाने और खिलाफ प्रदर्शन करने की उनकी लड़ाई के लिए उनको सम्मानित किया गया है।

नार्गेस मोहम्मदी वर्तमान में तेहरान में 10 साल की जेल की सजा काट रही है।

सुश्री मोहम्मदी, जिन्होंने ईरान में सरकारी दुर्व्यवहार के बारे में विस्तार से रिपोर्टें की हैं, उनकी आवाज उठाई है, आजकल जेल में हैं और जेल में रहने के दौरान भी विरोध प्रदर्शन और सविनय अवज्ञा के अन्य रूपों का आयोजन किया है। उन्‍होंन ईरान में ही रहने और अपनी सक्रियता जारी रखने की कसम खाई है, भले ही इसके लिए उन्हें अपना शेष जीवन जेल में बिताना पड़े।

उन्होंने कहा, “ईरान की बहादुर माताओं के साथ खड़े होकर, मैं दमनकारी सरकार द्वारा महिलाओं के खिलाफ किए जा रहे लगातार भेदभाव, अत्याचार और लिंग आधारित उत्पीड़न से उनकी मुक्ति तक लड़ना जारी रखूंगी।” सुश्री मोहम्मदी तेहरान स्थित नागरिक समाज संगठन, ‘’डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर’’ की उप-निदेशक भी हैं।

21 अप्रैल 1972, ज़ंजन, ईरान में जन्‍मी, नर्गेस मोहम्मदी. नोबेल शांति पुरस्कार 2023 पुरस्कार के समय भी ईरान की जेल में रहेंगी ।

“ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ उनकी लड़ाई और सभी के लिए मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने की उनकी लड़ाई के लिए” प्रेरणा बनने और हजारों महिलाओं को अपने साथ लाने हेतु उन्‍हें पुरस्कार प्रदान किया गया है।

उन्होंने इस साल जून में द न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ एक साक्षात्कार में कहा था कि बचपन की दो यादें उन्हें “सक्रियता की राह पर ले गईं” – उनकी मां की अपने भाई से जेल यात्रा और हर दिन फाँसी पर लटकाए गए कैदियों के नामों की टी.वी. पर घोषणाएं देखना।

इस वर्ष के पुरस्कार के बारे में ओस्लो में नॉर्वेजियन नोबेल समिति द्वारा की गई घोषणा, बारीकी से की गई जांच के बाद, ईरान में महिलाओं के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शन के बाद आई है। समिति ने कहा, “इस साल का शांति पुरस्कार उन लाखों लोगों को भी मान्यता देता है, जिन्होंने पिछले साल ईरान के धार्मिक शासन की महिलाओं को निशाना बनाने वाली भेदभाव और उत्पीड़न की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया था।”

“प्रदर्शनकारियों द्वारा अपनाया गया आदर्श वाक्य – ‘महिला, जीवन, स्वतंत्रता’ – नर्गेस मोहम्मदी के समर्पण और कार्य को उपयुक्त रूप से व्यक्त करता है।”

जिसने देश की नैतिकता पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए 22 वर्षीय व्यक्ति की पुलिस हिरासत में मौत पर देश को हिलाकर रख दिया था। संयुक्त राष्ट्र की गणना के अनुसार, आगामी सरकारी कार्रवाई में सैकड़ों लोग मारे गए, जिनमें कम से कम 44 नाबालिग भी शामिल थे, जबकि  महिलाओें सहित लगभग 20,000 ईरानियों को गिरफ्तार किया गया था।

नोबेल समिति के अनुसार, इस वर्ष पुरस्कार के लिए 351 उम्मीदवार थे, जो अब तक की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है। सुश्री मोहम्मदी 1901 में पुरस्कार की शुरुआत के बाद से नामित 137 पुरस्कार विजेताओं में शामिल हो गईं।पिछले 30 वर्षों में, ईरान की सरकार ने सुश्री मोहम्मदी को उनकी सक्रियता और उनके लेखन के लिए बार-बार दंडित किया है, जिससे उन्हें जीवन की हर सुविधा से वंचित किया गया है – एक इंजीनियर के रूप में उनका करियर, उनका स्वास्थ्य, उनके माता-पिता, पति और बच्चों के साथ समय और उसकी स्वतंत्रता। नई नोबेल पुरस्कार विजेता के परिवार ने, जो उनसे हजारों मील दूर पेरिस में है, सम्मान पर खुशी व्यक्त की, लेकिन स्वीकार किया कि इसकी कीमत चुकानी पड़ी, लेकिन परिवार को हर दिन उनकी सुरक्षा का डर रहता है।

जब पिछले साल सितंबर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ, तो सुश्री मोहम्मदी की सक्रियता नए सिरे से बढ़ गई, जो कम से कम 2009 के बाद से ईरानी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी।

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