पाकिस्तान सरकार के सामने एक नया खतरा
पाकिस्तान की जनसंख्या 230 मिलियन, जिसमें से 38 मिलियन पेशेवर भिखारी
*अनिरूद्ध सिंह
पाकिस्तान सरकार के सामने एक नया खतरा है जो वैश्विक स्तर पर उसकी छवि को नुकसान पहुंचा रहा है। कई खाड़ी देशों द्वारा पाकिस्तान के नागरिकों की बढ़ती अवांछित हलचलों के बारे में चेतावनी देने के बाद पाकिस्तान ने अब दो हजार प्रवासियों के पासपोर्ट निलंबित करने का फैसला किया है, जो धार्मिक तीर्थयात्रा की आड़ में सऊदी अरब, इराक और ईरान जैसे देशों में जाते हैं और वहां भिखारी बनकर रहते हैं। सरकार ने विदेश जाने वालों के ऐसे पासपोर्ट पर सात साल का प्रतिबंध जारी किया है, साथ ही कहा है कि इस कृत्य से देश की बदनामी होती है।
पाकिस्तानी अख़बार डॉन की 6 जुलाई, 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने सड़कों पर भीख मांगने के लिए विदेश यात्रा करने वाले व्यक्तियों का डेटा एकत्र किया है और गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय इस मामले पर एक समन्वित नीति को अंतिम रूप दे रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, इराकी और सऊदी राजदूतों ने शिकायत की है कि उनके यहां पकड़े गए 90 प्रतिशत भिखारी पाकिस्तानी मूल के हैं। इन गिरफ्तारियों के कारण उनकी जेलों में भीड़भाड़ है। यह मुद्दा इतना बढ़ गया है कि सऊदी अरब ने पाकिस्तानी सरकार से भिखारियों की आमद पर लगाम लगाने का आग्रह किया है। 2023 में मक्का की ग्रैंड मस्जिद में पकड़े गए जेबकतरों में, एक बड़ी संख्या पाकिस्तानी मूल के लोगों की थी।
पाकिस्तान में सेंटर फॉर बिजनेस एंड सोसाइटी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में भीख मांगने का चलन इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि इससे जो लाभ होता है, वह किसी भी अकुशल श्रम की तुलना में बहुत अधिक है। इस साल की शुरुआत में, यह बताया गया था कि पिछले ढाई सालों में कनाडा, अमेरिका, ईरान, जोर्डन और सऊदी की अरब जैसे अन्य देशों ने लगभग 44 हज़ार पाकिस्तानियों को वापस भेजा है।
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की जनसंख्या 230 मिलियन है, जिसमें से 38 मिलियन पेशेवर भिखारी हैं, जो प्रतिदिन कम से कम 850 पाकिस्तानी रुपए के बराबर कमा लेते है। एक मोटे अनुमान के अनुसार, इन भिखारियों को कथित तौर पर प्रति वर्ष 32 बिलियन डॉलर के बराबर रुपये दान में मिलते है। डॉन की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरल शब्दों में कहें तो यही 38 मिलियन गैर-उत्पादक व्यक्ति लगभग 29 से 30 बिलियन डॉलर खर्च कर रहे हैं और जबकि देश के बाकी लोग 21 प्रतिशत मुद्रास्फीति के साथ रहने के लिए मजबूर हैं।
पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स द्वारा 2022 में कराए गए एक अध्ययन के अनुसार, 2022 में, लगभग साढ़े सात लाख से अधिक शिक्षित युवा पाकिस्तानी देश की अनिश्चित आर्थिक और राजनीतिक स्थिति और रोजगार के अवसरों की कमी के कारण रोजगार की तलाश में विदेश में चले गए। जबकि 2021 में यह संख्या दो लाख, पच्चीस हज़ार और 2020 में दो लाख, अस्सी आठ हज़ार थी अर्थात पिछले दो सालों की तुलना में लगभग तीन गुना है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, इसमें बानबे हज़ार डॉक्टर, इंजीनियर, आईटी विशेषज्ञ और एकाउंटेंट जैसे उच्च शिक्षित व्यक्ति भी शामिल हैं।
यह देश से बाहर जाने वाले लोगों पर पाकिस्तान के आप्रवासन ब्यूरो ने उल्लेख किया कि इनमें से अधिकांश प्रवासी मध्य पूर्वी देशों, मुख्य रूप से सऊदी अरब और अरब अमीरात में जाते हैं।
बीबीसी द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 2010-12 में अकेले कराची में तीन हजार बच्चे लापता हो गए। पाकिस्तान में, दरगाहों पर जाना और भिखारियों को दान देना कई मुसलमानों के बीच एक दूसरे से जुड़े हुए रिवाज़ हैं, जिनसे बच्चों का शोषण करने वाले भीख माफिया को बढ़ावा मिला है। एशियाई मानवाधिकार आयोग के अनुसार, पाकिस्तान की 11 प्रतिशत आबादी जीविका कमाने के लिए भीख मांग रही है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, देश के प्रमुख शहरी केंद्रों की सड़कों पर ऐसे लगभग 12 लाख बच्चे घूमते हैं।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने सरकार को सुझाव दिया कि इस गठजोड़ को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय डेटाबेस और पंजीकरण प्राधिकरण (एनडीआरए) भीख मांगने वाले व्यक्तियों के कम्प्यूटरीकृत राष्ट्रीय पहचान पत्र (सीएनआईसी) पूरी तरह ब्लॉक कर दिए जाएं। समिति की अध्यक्ष सीनेटर इंजीनियर रुखसाना जुबेरी ने कहा कि पाकिस्तान में युवा बेरोजगारी दर 60 प्रतिशत है और तत्काल रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।
जुबेरी ने बेरोज़गारी की समस्या से निपटने के लिए नर्सिंग और मिडवाइफरी जैसे चिकित्सा क्षेत्रों में संक्षिप्त प्रशिक्षण दिए जाने वाले कार्यक्रमों की वकालत की। उन्होंने विदेशों में नौकरी के अवसरों के बारे में वास्तविक और सामायिक जानकारी प्रदान करने के लिए एक ऐसा ऑनलाइन पोर्टल स्थापित करने की भी सिफारिश की जिसमें जरूरी कौशल और प्रशिक्षण संस्थान शामिल हों। उन्होंने इसके के लिए सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और पाकिस्तान सूचना प्रौद्योगिकी बोर्ड के बीच सहयोग का सुझाव दिया है।
विदेश मंत्रालय की सीनेट की स्थायी समिति की बैठक में मंत्रालय के सचिव डॉ अरशद ने समिति को सूचित किया है कि खाड़ी के कई देशों द्वारा पाकिस्तानी प्रवासियों की बढ़ती संख्या के बारे में पाकिस्तान सरकार को चेतावनी जारी की गई है। यूएई तथा सऊदी अरब ने तो सरकार से इन देशों में कामगार नहीं भेजने का अनुरोध किया है। संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कतर और कुवैत ने पाकिस्तानियों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चिंता व्यक्त करते हुए पाकिस्तान से अपने नागरिकों को ‘उचित व्यवहार’ का प्रशिक्षण देने के लिए कहा गया है।
अरशद ने समिति को बताया कि हर साल छ: लाख से आठ लाख पाकिस्तानी देश से बाहर जाते हैं और केवल दो से तीन लाख वापस लौटते है। उन्होंने उल्लेख किया कि यूएई पुलिस ने दावा किया है कि यूएई में होने वाले लगभग 50 प्रतिशत अपराधों के पीछे पाकिस्तानी हैं। खाड़ी देशों की चिंताओं में तीर्थयात्रा की आड़ में यात्रा करने और बाद में इन देशों में भीख मांगने वालों में पाकिस्तानी लोग ही शामिल पाए गए हैं। हाल ही में, पाकिस्तानी पुरुष दुबई में महिलाओं के अनुचित वीडियो बनाते पकड़े गए हैं। पाकिस्तानी नर्सों ने कुवैत में उन स्वास्थ्य केन्द्रों पर काम करने से इनकार कर दिया है जहां पाकिस्तानी इलाज कराने आते हैं। वहीं कुछ मजदूरों ने कतर में हेलमेट पहनने से इनकार कर दिया है।
सऊदी अरब ने सूचित किया है कि वहां के राष्ट्रीय मानव संसाधन विकास केंद्र द्वारा आयोजित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ही कामगारों को काम पर रखने की अनुमति दी जाएगी, भले ही वह किसी भी देश के हो। यह फैसला सितंबर 2023 की पिछली रिपोर्ट के बाद आया है।
डॉ. अरशद ने इस समिति को बताया था कि विदेश यात्रा के लिए किसी भी प्रकार के वीजा से देश से बाहर जाने वाले पाकिस्तानियों में से ज़्यादातर उन देशों में भीख मांगने लगते हैं, इस प्रथा से देश की बदनामी होती है। साथ ही कहा कि इसके बाद पाकिस्तानी सरकार ने ऐसे दो हज़ार से अधिक भिखारियों के पासपोर्ट निलंबित कर उन्हें सात साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया है।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, खाड़ी सहयोग परिषद अर्थात् जीसीसी के देशों में नौकरी करने वाले भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका के कुल प्रवासी श्रमिकों में पाकिस्तानियों की संख्या 70 प्रतिशत से अधिक पाई गई है। यह भी पाया गया कि पिछले 30 वर्षों में, पाकिस्तान से लगभग अस्सी लाख श्रमिक औपचारिक चैनलों के माध्यम से विदेश गए हैं, जिनमें से अधिकतर मध्य पूर्व में गए हैं। मुख्य गंतव्य सऊदी अरब और यूएई रहे हैं, लेकिन श्रमिक ओमान, कुवैत, बहरीन और कतर जैसे अन्य तेल समृद्ध देशों में भी गए हैं। मध्य पूर्व के अलावा अन्य देशों में मात्र चार से पांच प्रतिशत ही थे, जो दर्शाता है कि पिछले कई वर्षों से पाकिस्तान अपने श्रमिकों के लिए रोजगार के नए अवसर नहीं दे सका हैं और इस प्रकार पाकिस्तान इन देशों में सबसे बड़ा labor exporter बन गया है।
हर साल खाड़ी देशों में कामगारों को भेजने से पाकिस्तान के स्थानीय नौकरी बाज़ार पर दबाव कम करने में मदद मिलती है। यह बहिर्गमन पाकिस्तान में नए नौकरी चाहने वालों का लगभग एक तिहाई और देश के बेरोज़गार श्रम बल का 10 प्रतिशत से अधिक प्रतिनिधित्व करता है।
इस दबावपूर्ण चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार के प्रयासों के बारे में, अधिकारियों ने कहा कि मंत्रालय वर्तमान में विभिन्न देशों में नौकरी की उपलब्धता और उभरते व्यवसायों पर डेटा एकत्र कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि आव्रजन के ऐसे मामलो का समाधान करने के लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में एक कैबिनेट समिति की स्थापना की गई है।
——–*अनिरूद्ध सिंह : विभिन्न समसामयिक विषयों पर छह वर्षों के अनुभव के साथ सुप्रसिद्ध कंटेंट लेखक।