प्रधानमंत्री की लक्षद्वीप यात्रा : दुश्मनों के पेट में दर्द
यह कहावत है कि काम इतने चुपके से करो कि सफलता कदम चूमने लगे।
*अजय मोहन
इस कहावत को मोदी जी ने सच कर दिखाया है। जब माननीय प्रधान मंत्री जी 2 और 3 जनवरी को भारत के संघ शासित प्रदेश लक्ष्य द्वीप की यात्रा पर थे। मोदी जी कोच्चि – लक्षद्वीप समूह सबमेरीन ऑप्टिकल फाइबर कनेक्शन का उद्घाटन करने और प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा और पांच मॉडल आंगनवाड़ी केंद्रों की आधारशिला रखने के एक कार्यक्रम के लिए लक्षद्वीप में थे। स्थानीय बालिकाओं ने एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया।
छोटे-छोटे 36 द्वीप समूह वाले लक्षद्वीप की खूबसूरती अमेरिका के हवाई द्वीप से की जा सकती है। इसी दौरान उन्होंने समुद्रतट की सैर की, गोताखोर के साथ समुद्र में डुबकी लगाई और समुद्र के अंदर की प्राकृतिक तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालीं, तो भारत के पड़ोस में स्थित एक देश मालदीव में भूचाल सा आ गया। वहां की सरकार के तीन मंत्रियों को मोदी जी की यात्रा ऐसी अखरी कि लगे चिल्लाने और अनापशनाप बोलने लगे। उन्हें ऐसा लगने लगा कि जैसे मोदी जी उनका सब कुछ छीन लेंगे।
प्रधान मंत्री जी ने लक्षद्वीप के सागर में डुबकी क्या लगाई? लक्षद्वीप की किस्मत ही चमक उठी! बस तभी से प्राकृतिक सौंदर्यवाला यह भूभाग सुर्खियों में छा गया है। प्रधान मंत्री की यह यात्रा लक्षद्वीप के लोगों के लिए रोजगार का एक अवसर बनकर आई है। विश्व के पर्यटकों का ध्यान लक्षद्वीप की ओर गया है। यहां के सागर में मोदी जी की एक डुबकी से ही, द्वीप के बारे में ऑनलाइन सर्च में साढ़े चार सौ प्रतिशत वृद्धि हुई है। यात्रा कंपनियों ने ‘भारत के सागरतट’ योजना बना डाली और भारतीय ही नहीं कुछ अन्य देशों के पर्यटक अब लक्षद्वीप के लिए पैकेज के बारे में पूछताछ कर रहे हैं।
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लेकिन इन तस्वीरों के बाद मालदीव के कुछ मंत्रियों ने भारत के प्रधान मंत्री पर अभद्र टिप्पणियां करते हुए जोकर तक कह दिया। मालदीव सीनेट के एक सांसद, ज़ाहिर रमीज़ ने सोशल मीडिया पर मोदी जी की लक्षद्वीप वाली तस्वीरों को पुन: दिखाते हुए लिखा, ”बढ़िया क़दम है, पर हमारे साथ प्रतिस्पर्धा करने का विचार भ्रामक सोच है। भारतीय इतने साफ़ कैसे हो सकते हैं। उनके कमरों से कभी ना जाने वाली बदबू आती है।” इतना ही नहीं जब एक मंत्री ने तो अपने बिगड़े बोल से मोदी जी को इजरायल का पालतू तक कह डाला। फिर तो भारत में भी बवाल मच गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद मालदीव की ऐसी अपमानजनक टिप्पणियों ने पूरे देश को गुस्से से भर दिया और आम लोगों से लेकर फिल्मी सितारों तक ने एक सुर में प्रधानमंत्री तथा लक्षद्वीप के समर्थन में अपनी बात रखी है।
उस दिन से लगातार लक्षद्वीप सोशल मीडिया पर ट्रेंड में भी चल रहा है।
हालांकि, अब मालदीव सरकार ने तीनों उप मंत्रियों को पद से हटा गया है और मालदीव के राष्ट्रपति ने कहा है यह उनकी सरकार के बयान नहीं है। यह मंत्रियों का निजी मामला है। लेकिन इस कार्रवाई से द्विपक्षीय संबंधों में मधुरता आने की संभावना नहीं है।
मालदीव सरकार ने भारत और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में सोशल मीडिया पर अशोभनीय टिप्पणी करने के बाद तीन मंत्रियों को निलंबित कर दिया है, माले में प्रशासन ने तभी कार्रवाई की जब भारतीय पक्ष ने उन टिप्पणियों पर अपनी कड़ी चिंताएं दर्ज कीं, जो एक ऑनलाइन विवाद के दौरान की गई थीं कि क्या लक्षद्वीप एक पर्यटन स्थल हो सकता है
वास्तव में भारत से हजारों लोग मालदीव घूमने जाते है, जिनके दम पर मालदीव का पर्यटन फल-फूल रहा है। वहां की अर्थव्यवस्था का लगभग 30% भारतीय पर्यटकों पर ही निर्भर है। अब तक, सब ठीक चल रहा था कि अचानक (चीन के इशारे पर) पिछले कुछ समय से भारत और मालदीव के संबंधों में खटास आई है।
रिपोर्टों से ज्ञात होता है कि मालदीव ने भारत, रूस, चीन, और कजाकिस्तान के नागरिकों के लिए वीजा-फ्री प्रवेश की व्यवस्था की हुई है। इसके अलावा, एक इस्लामिक देश होने के बावजूद वहां शराब पर कोई पाबंदी नहीं है। मालदीव के पर्यटन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2023 में मालदीव का पर्यटन बाजार, भारतीय पर्यटकों के लिए एक सर्वाधिक आकर्षण रहा है। वर्ष 2023 में मालदीव में सबसे ज्यादा भारतीय पर्यटक (209,198), इसके बाद रूस और चीन के (187,118) पर्यटक पहुंचे थे। वर्ष 2022 में भी भारत मालदीव के लिए सबसे बड़ा पर्यटन स्थल था। वहीं चीन टॉप थ्री में भी नहीं था। अपनी चीन यात्रा के दौरान मालदीव के राष्ट्रपति ने चीन से गुहार लगाई है कि वह अपने ज्यादा से ज्यादा पर्यटक मालदीव भेजे।
अंग्रेजी मानसिकता : अब प्रश्न उठता है कि जब पूरी दुनिया से लोग भारत आते हैं तो हमारे लोग मालदीव क्यों जाते हैं? उसके पीछे हमारी मानसिकता ही है। अंग्रेजों और उनके के बाद की सरकारों ने कुछ ऐसा माहौल बनाया कि हमें हर विदेशी चीज ही पसंद आती है।
पर्यटन केवल समुद्रीतट तक सीमित नहीं है, उससे आगे भी बहुत कुछ है। विदेशी हमारे देश की विरासत देखने आते हैं। लेकिन हमारे देश के नवधनाढ्य मध्यम वर्ग (मिडिल क्लास) के लिए पर्यटन का अर्थ केवल समुद्रीतट तक ही सीमित है। आसपड़ौस और रिश्तेदारों पर रौब डालने के लिए उनकी पहली प्राथमिकता विदेश होती है। अब इतना बजट नहीं कि मॉरीशस, साइप्रस, स्पेन, पुर्तगाल या इटली के समुद्रों का आनंद ले सकें।
जबकि विदेशी पर्यटक भारतीय पर्यटन की क्षमता से बेहद प्रभावित हैं। हमारे लोग अधिक पैसे खर्च करके मालदीव क्यों जाते हैं? हमारे पास गोवा, पुरी, अंडमान एवं निकोबार, आंध्र प्रदेश, केरल या लक्षद्वीप जैसे अच्छे समुद्रतट हैं। हमारे होटल ब्रांड्स ने यह सिद्ध कर दिया है कि हमसे बेहतर लग्जरी सुविधाएं और कोई नहीं दे सकता? हमें भारतीय आतिथ्य की श्रेष्ठ सेवाओं का इस्तेमाल करते हुए वहां विश्व स्तरीय पर्यटक अनुभव लेना चाहिए। लेकिन हमारे देश का मिडिल क्लास वर्ग यहां नहीं जाना चाहता, क्योंकि वह सब देश में हैं, इसलिए मालदीव जाते हैं। विदेशयात्रा भी हो गई, facebook या instagram पर तस्वीरें भर दीं, आसपड़ौस और रिश्तेदारों पर रौब भी पड़ गया। यही वास्तविकता है।
अब बात करते हैं समुद्रतट की : हम भारतीयों में जानकारी का भी अभाव होता है और इस बात को नहीं जानते कि अच्छा समुद्र तट क्या होता है? यूं तो सभी समुद्रों का रंग नीला होता है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें अच्छा ओर सुन्दर बनाने के लिए कुछ मानक निर्धारित किए गए हैं और ऐसे तटों को ब्लू फ्लैग से सम्मानित किया जाता है।
पर्यटन के क्षेत्र में ब्लू फ्लैग समुद्र तट अक्सर खबरों में रहते हैं। इसलिए इसके महत्व को समझना जरूरी है।
ब्लू फ्लैग प्रमाणन डेनमार्क स्थित फाउंडेशन फॉर एनवायरमेंट एजुकेशन (एफईई) द्वारा विश्व स्तर पर मान्यता प्रदान किए जाने वाला एक इको-लेबल है। ब्लू फ्लैग प्रमाणन पर्यावरणीय जानकारी पर एक प्रमाण (इको-लेबल) है जो तटीय पारिस्थितिकी तंत्र की सुदृढ़ता को प्रमाणित करता है। इसे प्राप्त करने के लिए कड़े मानदंडों का पालन किया जाना आवश्यक है और उनके निरीक्षण एवं जांच के बाद ही जल निकायों को यह लेबल दिया जाता है। ब्लू फ्लैग प्रमाणन समुद्र तटों, मरीना और सतत नाव पर्यटन ऑपरेटरों को प्रदान किया जाता है जो निर्धारित आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। भारत में ब्लू फ्लैग प्राप्त समुद्र तट : ओडिशा के तट पर स्थित पुरी समुद्र तट (गोल्डन बीच के नाम से लोकप्रिय), ब्लू फ्लैग प्रमाणपत्र पाने वाला एशिया का पहला समुद्र तट था। गोल्डन बीच को 2020 में प्रतिष्ठित ब्लू फ्लैग प्रमाणन से सम्मानित किया गया था। अक्टूबर 2022 तक, भारत में अन्य 12 समुद्र तटों अर्थात् गोल्डन बीच (ओडिशा), शिवराजपुर बीच (गुजरात), कप्पड़ बीच (केरल), घोघला बीच (दीव), राधानगर बीच (अंडमान और निकोबार), कासरकोड बीच (कर्नाटक),पदुबिद्री समुद्रतट (कर्नाटक), रुशिकोंडा बीच (आंध्र प्रदेश), कोवल्लम बीच (तमिलनाडु), ईडन बीच (पुडुचेरी), मिनिकॉय थुंडी बीच (लक्षद्वीप) और कदमत बीच (लक्षद्वीप) को इस प्रतिष्ठित प्रमाणन से सम्मानित किया गया है। |
जबकि मालदीव के किसी भी समुद्र तट को यह अंतर्राष्ट्रीय ब्लू फ्लैग प्रमाणपत्र नहीं मिला है। सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि वहां के समुद्रतट साफ सुथरे नहीं है।
इसी कड़ी में उल्लेख करना चाहता हूं कि एक मित्र, जो सरकारी तौर पर दो बार मालदीव जा चुके हैं, ने बताया कि 1990 में, थिलाफ़ुशी में कचरे के निपटान के लिए एक लैंडफिल साइट बनाया गया था। यह मालदीव की राजधानी माले के पास ही स्थित है। आज यह एकमात्र अपशिष्ट प्रबंधन और पुनर्चक्रण केंद्र है और साथ ही एक अविकसित औद्योगिक क्षेत्र भी है। इसके अतिरिक्त वहां कुछ नहीं है और सारा अपशिष्ट (गंद) समुद्र में ही बहा दिया जाता है।
लक्षद्वीप : लक्षद्वीप नाम का अर्थ मलयालम और संस्कृत में “एक लाख द्वीप” है, हालांकि लक्षद्वीप समूह सौ से अधिक द्वीपों के समूहों का केवल एक हिस्सा है। यह द्वीप भारत का सबसे छोटा संघ शासित प्रदेश हैं और इनका कुल क्षेत्रफल लगभग 32 कि.मी. है। लैगून क्षेत्र लगभग 1,600 वर्ग मील है। (लैगून एरिया पानी का एक उथला क्षेत्र, जो आमतौर पर महासागर में रेत की पट्टियों, अवरोधक द्वीपों या प्रवाल भित्तियों द्वारा पानी के बड़े भंडार से संरक्षित होता है।) लक्षद्वीप में मूल रूप से 36 द्वीप शामिल थे। (समुद्री कटाव के कारण पराली एक द्वीप के पानी में डूब जाने के कारण अब 35 द्वीप बचे हैं।) इन 35 द्वीपों में से 10 द्वीपों पर अधिक बसावट है। संघ शासित प्रदेश की राजधानी कवारत्ती में महात्मा गांधी के 152वें जन्मदिन पर उनकी एक प्रतिमा भी स्थापित की गई है।
1-नवंबर, 1956 को, भारतीय राज्यों के पुनर्गठन के समय, लक्षद्वीप, मिनिकॉय और अमीनदीवी द्वीप समूह को मालाबार जिले से अलग कर प्रशासनिक उद्देश्यों के हेतु एक अलग संघ शासित प्रदेश बनाया गया। 01 नवंबर 1973 को लक्षद्वीप के नाम से नए संघ शासित प्रदेश का गठन कर कवारत्ती को मुख्यालय बनाया गया। पहले इस द्वीपीय क्षेत्र के प्रशासक का कार्यालय कोझिकोड में होता था जिसे 1964 में, कावारत्ती में स्थानांतरित किया गया था।
द्वीपों की महत्वपूर्ण प्रासंगिकता और मध्य पूर्व में भारत के लिए सुरक्षा कारणों से कावारत्ती द्वीप पर भारतीय नौसेना की दक्षिणी कमान की आईएनएस द्वीपरक्षक भी स्थपित की गई है।
चूंकि यहां की अधिकांश आबादी स्वदेशी मुस्लिम है और उनमें से अधिकांश सुन्नी संप्रदाय की शफ़ी विचारधारा में प्रमुख आस्था रखते हैं। लक्षद्वीप में धार्मिक अनुष्ठान की विशेषता कुछ त्यौहार हैं जो इसके मूल जातीय समूहों में पाए जाते हैं। मौलूद एक ऐसा धार्मिक आयोजन है जब रहवासी प्रार्थना करते हैं और समूहों में भोजन करते हैं। रथीब के त्यौहार की शुरुआत लक्षद्वीप के कवारत्ती क्षेत्र में हुई थी। ईद-उल-फितर, मुहर्रम, ईद-उल-अधा और मिलाद-उन-नबी प्रमुख त्यौहार हैं। द्वीपवासी जातीय रूप से भारतीय राज्य केरल के मलयाली लोगों के समान ही हैं। उनकी संस्कृति निकटतम मुख्य भूमि राज्य केरल के लगभग समान ही है।
लोगों का मुख्य व्यवसाय मछली पकड़ना और नारियल की खेती है, यहां मुख्यत: ट्यूना मछली का निर्यात किया जाता है।
लक्षद्वीप में पर्यटन :
लक्षद्वीप में पर्यटन उद्योग 1974 से शुरू होता है, जब बंगारम एटोल (यानि अंगूठी के आकार का द्वीप) को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन के लिए खोला गया था। चूंकि ऐसे छोटे क्षेत्र में बड़े उद्योग संभव नहीं हैं, इसलिए सरकार बंगारम और कदमत द्वीपों में आय के साधन के रूप में पर्यटन को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है। बंगारम को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन के लिए एक प्रमुख गंतव्य के रूप में विकसित किया गया है। लावा नृत्य, कोलकली नृत्य और परिचकली नृत्य यहां के नृत्यों में शामिल हैं।
जलक्रीड़ा (Water-Sports) की सुविधाएं : पर्यटकों के लिए स्कूबा डाइविंग, विंड सर्फिंग, स्नोर्केलिंग, सर्फिंग, कायाकिंग, कैनोइंग, वॉटर स्कीइंग, स्पोर्ट फिशिंग, नौकायन और रात की समुद्री यात्रा जैसी जलक्रीड़ा की गतिविधियां उपलब्ध हैं और यह सभी पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। यहां समुद्री जीव प्रचुर मात्रा में देखे जा सकते हैं। दक्षिण-पश्चिमी मानसून के महीनों को छोड़कर क्योंकि इन दिनों समुद्र अत्यधिक उग्र होते हैं, पर्यटक पूरे वर्ष इन द्वीपों पर आते रहते हैं।
पर्यटकों को द्वीपों पर जाने के लिए परमिट (अनुमति) लेना अनिवार्य है और कुछ द्वीपों पर विदेशी नागरिकों को जाने की अनुमति नहीं है। स्थानीय लोगों की मांग पर बंगारम द्वीप को छोड़कर लक्षद्वीप द्वीप समूह में मादक पेय के सेवन पर प्रतिबंध है।
यहां के सभी द्वीपों पर संपर्क भाषा के रूप में मलयालम ही बोली जाती है। लक्षद्वीप में बाजार आदि सार्वजनिक स्थानों पर अधिकतर अंग्रेजी, मलयालम और कहीं-कहीं पर हिन्दी भाषा भी उपयोग की जाती है। हालांकि कुछ द्वीपों की अपनी अपनी स्थानीय बोलियां भी है।
लक्षद्वीप कैसे पहुंचे?
वायु मार्ग : अगत्ती द्वीप पर अगत्ती हवाई अड्डा लक्षद्वीप का एकमात्र हवाई अड्डा है। यहां से एलायंस एयर कोच्चि और बेंगलुरु के लिए सेवाएं हैं। अन्य द्वीप पवन हंस हेलीकॉप्टर द्वारा जुड़े हुए हैं। समुद्री/ क्रूज़ मार्ग : छह जहाज यथा एमवी कावारत्ती, एमवी अमिनदीवी, एमवी मिनिकॉय, एमवी अरब सागर, एमवी लक्षद्वीप सागर और एमवी भारत सीमा कोच्चि, कोझिकोड (बेपोर) और लक्षद्वीप को जोड़ते हैं। अन्य द्वीपों के बीच नौका सेवा उपलब्ध है। |
इजराइल लक्षद्वीप में एक विशाल “डिसेलिनेशन” जल (नमक रहित समुद्री पानी) के उत्पादन हेतु परियोजना लगाएगा। इससे द्वीप क्षेत्र में पेयजल की समुचित आपूर्ति होगी। |
देश का मीडिया : अब हमारे देश के मीडिया को देखें, तो कुछ चैनल (जिनका नाम बताना जरूरी नहीं) सरकार के साथ सहयोग करने के बजाय वह लक्षद्वीप पर ही प्रश्न उठा रहे हैं, जैसे कि सामान्य लोगों के लिए लक्षद्वीप पहुंचना अभी भी कठिन है क्योंकि लक्षद्वीप में प्रवेश के लिए सिर्फ कोच्चि (केरल) से ही फ्लाइट और शिप के माध्यम उपलब्ध हैं? वहां जाने के परमिट की क्या जरूरत है? वहां अच्छी सुविधाएं नहीं हैं आदि आदि। इस प्रकार कैसे पर्यटन बढ़ेगा? कुछ ऐसे ही लोग द्वीपों पर अधिक पर्यटकों के आगमन से पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभावों के नए विवाद को भी जन्म दे रहे हैं।
लेकिन मीडिया यह नहीं बताता कि अगत्ती एयरपोर्ट की सबसे खूबसूरती इसकी हवाई पट्टी का बिल्कुल समुद्र के बीचों बीच होना है। यहां जब भी कोई फ्लाइट लैंड करती है तो खिड़की से बाहर देखने पर ऐसा लगता है कि हवाई जहाज सीधे पानी में उतर रहा है।
इनके अलावा, इजराइल द्वारा लक्षद्वीप में एक “डिसेलिनेशन” परियोजना लगाने को भी मालदीव को चुनौती देने के रूप में दिखाया जा रहा है।
एक चौंकाने वाला तथ्य : जिसके बारे में देश का मीडिया नहीं बता रहा है।
ठीक पांच महीने पहले, अमेरिका ने मालदीव में आतंकवादी समूहों आईएसआईएस, आईएसआईएस-खुरासान और अल-कायदा से संबंध रखने वाले 20 व्यक्तियों और 29 कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए थे। अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, इनमें से 18 व्यक्ति आईएसआईएस और आईएसआईएस-के के सूत्रधार थे, जबकि दो अल-कायदा के संचालक थे। “इंडिया आउट” अभियान चलाने वाले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भी इस पर चुप्पी साधे हैं। |
देश में इस वक्त पर्यटन के लिए लक्षद्वीप को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। टूर ऑपरेटर एसोसिएशन भी इस बात को उठाता रहा है कि लक्षद्वीप जाने के लिए परमिट की आवश्यकता पड़ती है और यह परमिट केवल केरल के कोच्चि से मिलता है। लक्षद्वीप में पर्यटन के हित में इसे सुगम बनाया जाए और इसके लिए देश के दूसरे बड़े शहरों में “एकाधिक चैनल” और “सिंगल विंडो” सुविधाएं दी जानी चाहिए।
देश में घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने वाले संगठनों ने केंद्र सरकार से मांग की है कि अब लक्षद्वीप को देश की राजधानी दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई से भी सीधे जोड़ा जाए। इसके अलावा लक्षद्वीप के लिए परमिट व्यवस्था को आसान बनाया जाना चाहिए।
इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि लक्षद्वीप में पर्यटन को बढ़ाने की बहुत आवश्यकता है। टूर ऑपरेटर्स का कहना है कि देश के में आयोजित होने वाली घरेलू पर्यटन से संबंधित प्रदर्शनियों में लोग लक्षद्वीप को लेकर पूछताछ करते समय अनेक प्रश्न करते हैं। लेकिन उनमें से ज्यादातर लोग लक्षद्वीप की बजाय गोवा या फिर अंडमान निकोबार द्वीप समूह के पैकेज लेना पसंद करते हैं।
इसके पीछे उनका तर्क है कि लक्षद्वीप के लिए कोच्चि (केरल) के अलावा देश में कहीं से भी सीधी फ्लाइट नहीं है। फिर कोच्चि से भी फ्लाइट में डेढ़ घंटे का समय लगता है। कुछ समय पहले तक दिल्ली से अगत्ती के लिए एयर इंडिया की सीधी हवाई सेवा थी (जो लगभग पांच घंटे लगाती थी), लेकिन एयर इंडिया के निजीकरण के बाद से बंद है और जो अन्य हवाई सेवाएं हैं वह 10 से 14 घंटे का समय ले रही हैं।
लक्षद्वीप में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से हवाई कनेक्टिविटी बेहद जरूरी है। पर्यटन को बढ़ावा देने की सभी संभावनाओं को और बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार और लक्षद्वीप प्रशासन में जुट गया है।
राष्ट्रीय स्तर पर संपर्क की अवसंरचना को मजबूत करने की अपनी पहल में, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने अपनी ‘उड़ान 4.0 योजना’ के तहत लक्षद्वीप में एक और असेवित हवाई पट्टी मिनकॉय में दूसरा एयरपोर्ट बनाने और दो वाटर एयरोड्रोम स्थानों की पहचान कर स्वीकृति देते हुए निविदाएं आमंत्रित की हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय एयरलाइंस को लगभग 25% की अतिरिक्त व्यवहार्यता गैप फंडिंग (वीजीएफ) भी प्रदान कर रहा है।
सरकार ने दो सीमा शुल्क निकासी (चेक-इन) कार्यालय स्थापित करने का भी निर्णय लिया है। साथ ही, पर्यटकों की सुविधा के लिए ऑनलाइन परमिट की सुविधा भी तैयारी की जा चुकी है ताकि पर्यटक पलिे से ही घर बैठे परमिट लेकर सीधे प्रवेश कर सकें। इन कार्यालयों के खुलने के बाद पर्यटन को बड़ा बढ़ावा मिलने की उम्मीद है क्योंकि द्वीप सबसे व्यस्त क्रूज मार्गों में से एक पर स्थित हैं।
सरकार का कोई भी काम अचानक नहीं होता, बिना पूरी प्लानिंग पूरे सोच विचार के बिना मोदी जी भी कोई बात नहीं कहते हैं न कोई काम करते है। इस्राइल के पास समुद्र के खारे पानी को पीने लायक बनाने की तकनीक है। मोदी सरकार ने पिछले वर्ष उन्हें लक्षद्वीप में पेयजल की उपलब्धता पर काम शुरू करने की विनती की थी और अब जल्दी ही इस परियोजना पर काम शुरू हो जाएगा।
ताज होटल्स ने लक्षद्वीप के दो द्वीपों पर अपने रिसॉर्ट्स और होटल्स बनाने की घोषणा की है, क्या कोई भी उद्योग समूह बिना पूर्ण रिसर्च किए, बिना स्थल निरीक्षण किए अचानक ऐसी घोषणा कर सकता है?
लक्षद्वीप का दौरा करके, प्रधान मंत्री जी ने पर्यटन के लिए इसकी अपार संभावनाओं पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने कहा कि यह हम सभी के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है। अधिक पर्यटक लक्षद्वीप आएं और इसकी समृद्धि में योगदान दें, इसकी अनूठी संस्कृति और परंपराओं का भी अनुभव करें।
मतलब साफ है, जिस दिन मालदीव में चीन की कठपुतली सरकार ने “इंडिया आउट ” कहा, सरकार ने उसी दिन से (चुपचाप और पूरी पूर्ण प्लानिंग के साथ) मालदीव की पर्यटन पर आधारित अर्थव्यवस्था की कब्र खोदनी शुरू कर दी थी।
सीधी बात है, यह सबके लिए सीधा सन्देश है कि मोदी सरकार के रहते भारत का अपमान करने की जुर्रत करने से पहले दो बार सोच लीजिए ?
** सभी चित्र PIB, भारत सरकार से साभार।