बख्तियार पुर का नाम नहीं बदला, क्यों?
चित्र में बख्तियार खिलजी का सूनसान मकबरा और यह एएसआई द्वारा संरक्षित भवन ।
कैमूर जिले के चैनपुर प्रखंड के मदुरना गांव के बीच एक सूनसान सड़क से सटी पहाड़ी के पास गांव के बीच एक सूनसान सड़क पर इस सूनसान भुतहे भवन के बाहर एएसआई का बोर्ड लगा देखा तो जिज्ञासा हुई कि यह कैसा भवन है?
पास गया तो पाया नालंदा विश्वविद्यालय के हजारों भिक्षुओं की हत्या के दोषी बख्तियार खिलजी का मकबरा है।
मन आक्रोशित हुआ, नालंदा विश्वविद्यालय के हजारों भिक्षुओं की हत्या और पुस्तकों को आग लगाने का दोषी बख्तियार खिलजी, जहां उस सड़-गल कर मिट्टी में मिल चुकी लाश अपने कुकर्मों कुकृत्यों के इंसाफ के लिए अल्लाह का इंतजार कर रही है।
बहुत से राज्यों ने अपने यहां ऐसे आततायियों के स्मारकों, स्थानों और यहां तक कि सड़कों के नाम तक बदल दिए हैं। अब रही बख्तियार पुर का नाम बदलने की बात तो बख्तियार पुर का नाम बिहार वाले ही बदलेंगे, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश या उत्तर प्रदेश वाले थोड़ी न बदलेंगे।
पर बिहार वालों को अनावश्यक राजनीति और नकारात्मक सोच से ही फुर्सत नहीं है। भाई हमारे बिहारी भाई लोग ट्रेन जलाने, प्रयागराज, बनारस, दिल्ली और मुंबई में पढ़ाई करने या सरकारीकर्म या फिर मजदूरी में व्यस्त रहते हैं और आजकल सारी बीमारियों के इलाज के लिए जातिगत जनगणना में लगे हैं। (Quora से साभार)