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बेरोजगारी टैक्‍स : एक विचारणीय प्रश्‍न

परीक्षा शुल्‍क समाप्‍त किए जाने की आवश्‍यकता ।

-मदन मोहन शर्मा

इसमें कोई दो राय नहीं है कि युवा अपने मां-बाप की कमाई पर ही अपनी शिक्षा पूरी करते हैं और शिक्षा के बाद जब काम की तलाश करते हैं तो (पहले तो) आसानी से काम नहीं मिलता, दूसरी तरफ सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र के संस्‍थानों  द्वारा जब रिक्त पदों के लिए भर्तियां निकाली जाती हैं, उन सभी में आवेदन शुल्‍क के रूप में एक नियत राशि जमा करानी होती है।

2. हालांकि, यह नियत राशि पहले भी थी परन्‍तु इतनी अधिक नहीं होती थी, जितनी आजकल ली जा रही हैं। पिछले कुछ वर्षो से यह राशि जरूरत से ज्‍यादा हो गई है और कम से कम ₹500 रूपए से शुरू होकर अक्‍सर ₹1000 रूपए या अधिक तक होती है। यहां तक कि संघ लोक सेवा आयोग, राज्‍यों के लोक सेवा आयोग, रेलवे भर्ती बोर्ड भी कुछ इसी तरह का शुल्‍क वसूलते हैं। अक्‍सर एक बेरोजगार युवा वहन नहीं कर पाते और यह बोझ भी अंतत: अभिभावकों पर ही पड़ता है। इससे बेरोजगार युवाओं को कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।

3.  इससे कभी कभी तो ऐसा लगता है कि आवेदन निकालना भी कमाई का एक और माध्‍यम बन गया है। दो तीन साल पहले की बात है, महानगर टेलिफोन निगम ने कुल 30 पदों के लिए विज्ञापन निकाले थे। लेकिन आवेदन शुल्‍क ₹800 था। ज्ञात हुआ है कि इन 30 पदों के लिए पूरे देश में लगभग एक लाख से भी अधिक आवेदन प्राप्‍त हुए थे। अब प्रश्‍न उठता है और यह मोटी सी बात है : ₹800 X 1,00,00 अर्थात लगभग ₹8,00,00,000/- (आठ करोड़ रूपए) की कमाई की गई। ऐसे और भी बहुत से संस्‍थान हैं। इनमें एक नाम नियंत्रक एवं महालेखाकार (CAG) का भी है, जिसने इसी दौरान लेखा सहायकों के पदों के लिए आवेदन शुल्‍क के रूप में ₹1000 प्रति आवेदक वसूल किया था।     

4. आजकल परीक्षा (टेस्‍ट) लेने के लिए कुछ निजी संस्‍थाओं की सेवा लेने की परम्‍परा सी चल रही है। ऐसे संस्‍थानों के पास बहुत अच्‍छी सुविधाएं नहीं होती हैं। इसके अलावा यह होते भी बहुत दूर दूर है, जहां पहुंचने में समय तो बर्बाद होता ही है, साथ ही किराए के रूप में ₹300 से ₹400 रूपए लग जाते हैं।

5.  इतना ही नहीं चूंकि ऐसे इंस्‍टीट्यूट्स रेलवे स्‍टेशनों/ बस अड्डों से काफी दूर होते हैं और ये  संभवत: वहां के ऑटो रिक्‍शा आदि से सांठगांठ कर उन्‍हें पहले ही सूचित कर देते हैं। मेट्रो स्‍टेशन/ रेलवे स्‍टेशन/ बस अड्डों पर पहुंचने पर और उस स्‍थान के बारे मे पूछते ही इन्‍हें शिकार का पता लग जाता है। दिल्‍ली के रोहिणी क्षेत्र के एक गांव में, स्थित एक ऐसा ही संस्‍थान (जिसमें दो बड़े से हॉल और आफिस के नाम पर एक कमरा था) और उस स्‍थान पर जाने के लिए बस से पांच रूपए लगते हैं और सात आठ लोगों को एक साथ ले जाने वाले ग्रामीण सेवा के ऑटो रिक्‍शा आम लोगों से ₹10 रूपए प्रति सवारी लेते है। लेकिन उस दिन जिसके हाथ में कागज दिखाई दिए और जिसने उस स्‍थान के बारे में पूछताछ की, उनसे प्रति व्‍यक्ति / सवारी 30 रूपए लिए गए।

6. इसके अलावा, ऐसी भी सूचनाएं मिली हैं कि इन संस्‍थानों के एजेंट्स कुछ उम्‍मीदवारों से ₹2000 रूपए लेकर उनकी परीक्षा स्‍वयं ही करा देते हैं, यानि ‘पास करने की गारंटी’।

7. उपरोक्‍त तथ्‍यों को देखते हुए बेरोजगारों पर डाका डालने के इस तरह के कार्यो को तुरन्‍त रोकने की आवश्‍यकता है ताकि बच्‍चों को इस सफेदपोश ठगी से बचाया जा सके। इसके लिए के लिए पहले तो आवेदन शुल्‍क होना ही नहीं चाहिए और यदि रखा भी जाए तो आवेदन शुल्‍क किसी भी रूप में ₹100/- (मात्र एक सौ रूपए) से अधिक न रखा जाए। इसके अलावा, इस प्रकार की व्‍यवस्‍था करने की आवश्‍यकता है कि संस्‍थान पहले की तरह अपने परिसर में अथवा किसी निकट के स्‍कूलों में ही लिखित परीक्षाओं की व्‍यवस्‍था करें ताकि ऐसे टुच्‍चे मुच्‍चे संस्‍थानों से छुटकारा मिल सके।  

बेरोजगारों की इस समस्‍या को ध्‍यान में रखते हुए, इस बारे में कार्मिक विभाग/ मंत्रालय द्वारा तत्‍काल आदेश दिए जाने की आवश्‍यकता है, जिसमें किसी भी पद के लिए आवेदन शुल्‍क ₹100/- से अधिक नहीं रखा जाए, जिसमें क्‍लर्कों आदि के लिए तो अधिकतम ₹50/- ही हो । साथ ही यह किसी अन्‍य संस्‍थानों के द्वारा परीक्षा लेने पर भी पाबंदी लगाई जाने की भी जरूरत है ताकि बेगरोजगारों से लिए जाने वाले टैक्‍स से बचाया जाए। देशहित को देखते हुए इस नेक कार्य के लिए ऐसे बेरोजगार सदा देश के आभारी रहेंगे।

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