वह भी एक समय था जब पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा कश्मीर में की गई किसी भी वारदात होने पर भारत के नेता इन्हें ‘कायराना हरकत कह कर आतंकी हमलों की कड़ी निंदा करते और चुप्पी साध लेते थे। फिर एक डोजियर बनाया जाता अमेरिका, सोवियत रूस और संयुक्त राष्ट्र को भेज कर उनसे, पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया जाता था। फिर, उधर से पाकिस्तान खुद को भी आतंक पीड़ित बताकर दुनिया के सामने रोता और उलटे भारत पर आरोप लगा देता कि भारत के पास इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं है। बस बात आई गई हो जाती और यही सिलसिला चलता रहता था।
अब भारत का नेतृत्व कड़ी निंदा करने के बजाय जैसे को तैसा की प्रतिक्रिया करने में विश्वास करता है। यह भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीति में बदलाव के एक नए युग का प्रतीक है। अपने हितों की रक्षा के लिए देश की प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ रुख का एक उदाहरण है।
लेकिन अब बहुत दिनों से, मानवता के इन दुश्मनों को भगवान के पास भेजने का सिलसिला चल रहा है और अब धीरे-धीरे यह स्पष्ट होता जा रहा है कि इन शरारती तत्वों को ईश्वर से मिलाने का नियंत्रण भारत के पास नहीं है। दो दर्जन से अधिक आतंकियों को समाप्त किया जा चुका है। यह किसी भी गुप्तचर संस्था के लिए संभव नहीं है।
खोजबीन के बाद, भारत के पंजाब, जम्मू-कश्मीर और दूसरे राज्यों में आतंकी हिंसा से जुड़े तथा ‘अज्ञात बंदूकधारियों’ द्वारा मारे गए कुछ कुख्यात आतंकियों के नाम इस प्रकार पाए गए हैं:
- जैशे-मुहम्मद से जुड़े एक आतंकी, जहूर मिस्त्री उर्फ जाहिद अखुंद को 1 मार्च, 2022 को पाकिस्तान के कराची में उसके घर के बाहर ही, कथित तौर पर दो बाइक सवार हमलावरों ने मार डाला था, इस हमले में वहीं उसकी मौत हो गई थी। 1999 में भारत के एयर इंडिया के विमान IC-814 का अपहरण कर कंधार ले जाने वाले आतंकियों में उसकी प्रमुख भूमिका मानी गई थी।
- खालिस्तानी आतंकी संगठन बब्बर खालसा से जुड़े रिपुदमन सिंह मलिक की कनाडा के सर्रे में 14 जुलाई 2022 को गोली मारकर हत्या कर दी गई। उस पर 1985 में एयर इंडिया फ्लाइट बम विस्फोट से संबंधित आरोप भी थे। मलिक पर प्रथम-डिग्री हत्या के 329 मामलों का आरोप लगाया गया था, लेकिन उसने कहा कि उसे साजिश का विवरण या इसमें शामिल लोगों के नाम याद नहीं हैं। कनाडा की अदालत ने उसे अभियोजन पक्ष का गवाह बनाया और बाद में बरी कर दिया था।
सीबीसी न्यूज में बताया कि 1985 के एयर इंडिया बम विस्फोट मामले में बरी किए गए व्यक्ति की गुरुवार सुबह कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया के सर्रे में गोली मारकर हत्या कर दी गई। मीडिया रिपोर्टों में स्थानीय पुलिस के हवाले से पुष्टि की गई कि यह एक लक्षित गोलीबारी प्रतीत होती थी।
- हरविंदर सिंह संधू, पुलिस फाइलों में हरविंदर सिंह रिंदा, नाम के खालिस्तानी आतंकी की 19 नवंबर 2022 को लाहौर के एक अस्पताल में मृत्यु हो गई। वह प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल का सदस्य था और पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या सहित कई आतंकी वारदातों में उसका नाम सामने आया था। रिंदा मई में पंजाब पुलिस के इंटेलिजेंस मुख्यालय पर रॉकेट चालित ग्रेनेड (आरपीजी) हमले और लुधियाना कोर्ट विस्फोट में भी मास्टरमाइंड था। पंजाब पुलिस के सूत्रों ने बताया कि गैंगस्टर ग्रुप दविंदर भंबीहा ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि उसने रिंदा को उसने पाकिस्तान में गोली मार दी है।
- ऐजाज़ अहमद अहंगर, जो वैश्विक आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट से जुड़ा कश्मीरी आतंकी था, 14 फरवरी, 2023 को अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में मृत पाया गया। ऐसा माना जा रहा है कि तालिबान ने उसकी हत्या की थी।
- हिज्बुल मुजाहिदीन के एक शीर्ष कमांडर बशीर अहमद पीर को, जिसका असली नाम इम्तियाज आलम था, 20 फरवरी, 2023 को पाकिस्तान के रावलपिंडी में गोली मार दी गई थी। वह 15 वर्षों से अधिक समय से पाकिस्तान में रह रहा था और उसने कश्मीर घाटी में आतंकी गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- एक आतंकी संगठन, ‘अल-बद्र मुजाहिदीन’ के पूर्व कमांडर सैयद खालिद रज़ा को 27 फरवरी, 2023 को कराची में गोली मार दी गई। उसके हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन का निकट का संबंधी था और वह जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा क्षेत्र में आतंकियों की घुसपैठ कराने में विशेष रूप से शामिल था।
- पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के साथ विशेष सहयोग करने के लिए कुख्यात सैयद नूर शालोबार को खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र में 4 मार्च, 2023 मार दिया गया था। शालोबर पर कश्मीर घाटी में युवाओं को आतंकी बनाने के लिए भर्ती करने के आरोप थे।
- भारत की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल और खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ) का प्रमुख, परमजीत सिंह पंजवार ऊर्फ मलिक सरदार सिंह की 6 मई, 2023 को पाकिस्तान के लाहौर में उसके घर के पास ही हत्या कर दी गई।
- अवतार सिंह खांडा की बर्मिंघम के एक अस्पताल में 15 जून 2023 को मृत्यु हो गई। कुछ दिन पहले ही उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां पता लगा कि उसे एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया का विकट रक्त कैंसर था। भारतीय एजेंसियों ने खांडा पर ब्रिटेन में सिख युवाओं को चरमपंथी विचारधारा के साथ उग्रवादी बनाने का आरोप लगाया था। वह खालिस्तान समर्थक समूहों के विरोध प्रदर्शन के दौरान लंदन में भारतीय उच्चायोग पर तिरंगे को उखाड़ने के मुख्य आरोपियों में से एक था।
- कनाडा में गत 19 जून 2023 को अज्ञात बंदूकधारियों ने खालिस्तान टाइगर फोर्स के प्रमुख और गुरु नानक सिख गुरुद्वारा साहिब के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर को गुरुद्वारा परिसर में ही सरे आम मार डाला गया। भारत में विभिन्न आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के कारण निज्जर का महत्वपूर्ण आपराधिक रिकॉर्ड था।
- सरदार हुसैन अरैन को 1 अगस्त 2023 को कराची के नवाबशाह में उनकी दुकान के पास ही गोली मार दी गई और सिंधुदेश रिवोल्यूशनरी आर्मी (एसआरए) ने उनकी हत्या की जिम्मेदारी ली था। अरैन हाफ़िज़ सईद का करीबी सहयोगी था और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का एक सक्रिय संचालक और जमात-उद-दावा (जेयूडी) के मदरसा नेटवर्क का जिम्मेदार सरगना था।
- जम्मू के रियाज़ अहमद उर्फ अब्बू कासिम कश्मीरी की 8 सितंबर, 2023 को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार दी। वह राजौरी क्षेत्र में युवकों को आतंकी बनाने और ढांगरी में हमले के पीछे प्रमुख आरोपी था।
- सुखदूल सिंह उर्फ सुक्खा दुनेके, जो कनाडा में एक कुख्यात गैंगस्टर और खालिस्तानी आतंकी अर्शदीप सिंह से जुड़ा था। कनाडा के विन्निपेग में तीन अज्ञात बंदूकधारियों ने 21 सितंबर, 2023 को उसकी हत्या कर दी।
- जियाउर रहमान लश्कर-ए-तैयबा का सक्रिय सदस्य था और कश्मीर, केरल के साथ -साथ भारत के दूसरे राज्यों में युवाओं को लालच देकर कट्टरपंथी बनाने में शामिल था। कराची में 29 सितंबर, 2023 को मोटर साइकिल सवार दो अज्ञात हमलावरों ने उसकी हत्या कर दी।
- जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े आतंकी शाहिद लतीफ की 11 अक्टूबर, 2023 को पाकिस्तान के सियालकोट में अज्ञात बंदूकधारियों ने मार गिराया, वह भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की मोस्ट वांटेड सूची में था। उसने ही 2 जनवरी, 2016 को जैश-ए-मोहम्मद के चार आतंकियों को पठानकोट वायु सेना स्टेशन में घुसाकर हमला करने की साजिश रची थी, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय वायुसेना के सात सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे।
- पाकिस्तान के उत्तरी वजीरिस्तान में दो अज्ञात हमलावरों ने दाऊद मलिक नाम के एक आदिवासी बुजुर्ग को गोलियों से छलनी कर दिया और भागने में सफल रहे। यह बुजुर्ग भारत के मोस्ट वांटेड लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी मौलाना मसूद अज़हर का घनिष्ठ मित्र तथा भारत विरो**भारत में अतिवांछित अपराधियों में से एक, दाऊद इब्राहिम की मृत्यु के बारे में सोशल मीडिया पर बीते कई दिनों से चर्चाएं गर्म है और उसे पाकिस्तान में जहर दिए जाने की अटकलें लगाई जा रही है। ऐसी रिपोर्टें मिल रही हैं कि दाऊद को स्वास्थ्य की गंभीर समस्या के कारण कराची के एक अस्पताल में भर्ती कराया है और ऐसे समाचार मिले हैं कि कड़े सुरक्षाघेरे में इस अस्पताल में वही एकमात्र मरीज है। उसके अस्पताल में भर्ती होने के कारणों पर भी सवाल उठ रहे हैं जबकि उसे जहर दिए जाने का दावा किया जा रहा है। अपुष्ट समाचारों में कहा जा रहा है कि वह अस्पताल में अंतिम सांसें गिन रहा है।दाऊद 1993 में मुंबई के विस्फोटों का मास्टरमाइंड और मुख्य आरोपी है। मुंबई ब्लास्ट के बाद वह भारत से भाग कर पाकिस्तान चला गया था और पिछले 30 साल से कराची में रह कर वहीं से दुनियाभर में अपने गैर-कानूनी धंधे चला रहा है। अंतरराष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों का अनुमान है कि दाऊद इब्राहिम प्रति माह लगभग 10 करोड़ रुपए पाकिस्तानी अधिकारियों को देता रहा है। अमेरिका ने भी उसे आतंकी घोषित कर रखा है और उसके पीछे विश्व की कई खुफिया एजेंसियां लगी हुई हैं। भारत की खुफिया एजेंसियां दाऊद के ठिकाने के साथ-साथ उसकी आवाज के नमूने तक हासिल कर चुकी हैं। भारत की एजेंसियां कराची के पॉश इलाके क्लिफ्टन में दाऊद की मौजूदगी के नतीजे पर पहुंची थी। लेकिन पाकिस्तान लगातार उसकी मौजूदगी से इनकार करता रहा है और दशकों से यह सिलसिला जारी है।**इसी प्रकार कहा जा रहा है कि लश्कर-ए-तैयबा के एक और आतंकी साजिद मीर को भी अति सुरक्षित जगह (पाकिस्तान की जेल – डेरा गाजी खान) पर जहर दे दिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साजिद फिलहाल वेंटिलेटर पर था। भारत में 26/11 मुंबई हमले के मुख्य मास्टरमाइंड और अति वांछित (वॉन्टेड) था। उसने अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और डेनमार्क में भी आतंकी वारदातें की थी, जिसके कारण वह अमेरिका में भी एक वॉन्टेंड आतंकी था और एफबीआई ने उस पर लगभग 41.69 करोड़ रुपए का ईनाम रखा था। खुफिया जानकारी के अनुसार, वह क्रिकेट की आड़ में नकली नाम और पासपोर्ट का उपयोग करके मोहाली में भारत-पाक वनडे में भाग लेने के लिए भारत आया और इस यात्रा के दौरान उसने मुंबई के ताज होटल सहित कई स्थानों की रेकी करके, (बाद में) पाकिस्तान में हमलावरों को प्रशिक्षित किया था।
रिपोर्टों में कहा गया कि उसे जहर देने का संदेह फिलहाल जेल के रसोइए पर है और कुक भी लापता है। आतंकियों के लिए अत्यधिक सुरक्षित जेल में भी अज्ञात लोग पहुंच गए। इससे अन्य पाक आतंकी सदमे में है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में इंटेलिजेंस के अधिकारियों का मानना है कि आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के विदेशी दबाव से बचने के लिए पाकिस्तान के सैन्य-खुफिया तंत्र की एक चाल भी हो सकती है ताकि उनकी मौत का नाटक कर अमेरिका में उसके प्रत्यर्पण को रोका जा सके।
**पाकिस्तान में चुन-चुनकर मारे गए आतंकियों में अबकी बार एक नाम आया है, असलम वजीर। भारत के खिलाफ आग उगलने और आतंकी गतिविधियां चलाने के बावजूद उसे पाकिस्तान सरकार का ‘प्रेजिडेंट अवार्ड’ भी मिल चुका था। विस्फोट की घटना में असलम वजीर के साथ उसका बेटा और व्यक्ति भी मारा गया।
*पाकिस्तान में ‘अज्ञात हमलावर’ भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में शामिल रहे तत्वों को ठिकाने लगा रहे हैं। इन अज्ञात हमलावरों द्वारा प्रमुख आतंकियों की हत्याओं से पाकिस्तानी आतंकियों में एक डर पैदा कर दिया है और अब बहुत से तो कहीं बाहर ही नहीं निकल रहे हैं। हाल ही में, उनका ताजा शिकार पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का कमांडर यूनुस खान था, जिसे खैबर पख्तूनख्वा के बाजौर में गोली मार दी गई है। आतंकी यूनुस खान को विशेष रूप से कश्मीर में मुस्लिम युवाओं की भर्ती और आतंकी प्रशिक्षण के लिए जिम्मेदार माना जाता था।
यह अकेले 2023 में कुल 21 भारत-विरोधी आतंकियों का सफाया किए जाने से पाकिस्तान में छुपे आतंकियों के लिए एक चुनौती बन गई है।
बीते कुछ महीनों में विदेशी धरती पर भारत विरोधी, खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर, अवतार सिंह खांडा, परमजीत पंजवार, रिपुदमन सिंह मलिक, सुक्खा दुनिके, हरविंदर रिंडा, सुखदूल सिंह, हैप्पी संघेड़ा को अज्ञात हमलावरों द्वारा ढेर कर दिया गया है। वहीं, इस्लामिक आतंकियों में अबू कासिम, जहूर मिस्त्री, अब्दुल सलाम भुट्टावी, सैयद नूर, एजाज अहमद, खालिद रजा, बशीर अहमद, शाहिद लतीफ, मुफ्ती कैसर फारूक, जियाउर रहमान, मलिक दाऊद, ख्वाजा शाहिद, मौलाना तारिक रहीम उल्लाह तारिक भी अज्ञात हमलावरों के हाथों समाप्त किए जा चुके हैं।
** यह सभी वारदातें ज्यादातर एक ही तरीके से की गई हैं यानि मोटर साइकिल पर सवार बंदूकधारी उनके करीब आए, गोली मारी और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाए वह मौके से गायब भी हो गए यानि बस 10-15 सेकेंड में खेल समाप्त। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार हत्याएं करने के लिए कठोर व्यावहारिक और मानसिक प्रशिक्षण की जरूरत होती है। इसलिए इसे गलीछाप स्तर के गुंडों का काम नहीं कहा जा सकता है।
जब अज्ञात व्यक्तियों द्वारा की गई इन रहस्यमयी हत्याओं ने अनेक प्रकार की अटकलों को जन्म दिया तो पहले तो पाकिस्तानी अधिकारियों ने ऐसी घटनाओं के बारे में जवाब नहीं देकर, चुप रहना बेहतर समझा। पाकिस्तानी सरकार के कुछ अधिकारी अलग ही दावे कर रहे हैं। उसके अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में, नई दिल्ली ने इस्लामाबाद के साथ कई आतंकियों के नाम और ठिकाने साझा किए थे और उन्हीं में से कईयों को अज्ञात हमलावरों ने मार डाला है। एक तरफ पाकिस्तानी सरकार इसे पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठनों के बीच आपसी ‘गैंग-वार‘ की आशंका जता रही है तो दूसरी ओर उसी के कुछ अधिकारी, दबी जुबान से कह रहे हैं कि हिंदुस्तान की बाहरी खुफिया एजेंसी, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) की मिलीभगत होने के संकेत मिले हैं यानी कि इसे भारत की ‘रॉ’ का काम बता कर अपना पल्ला झाड़ रहे है।
अब यह बताने की जरूरत नहीं है कि पाकिस्तानी सेना ने ही इनको खड़ा किया था। पाकिस्तानी आईएसआई ने हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन, जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर और ‘लश्कर ए तैयबा’ प्रमुख हाफिज सईद को सुरक्षा घेरा प्रदान किया था। फिर यही भस्मासुर पाकिस्तान में भी जगह जगह विस्फोट कर पाकिस्तान की जड़े खोदने में लग गए हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, आईएसआई ने इन्हें बुलेटप्रूफ गाड़ियां मुहैया कराई गई हैं और अब उन्हें सतर्क किया गया है कि अपने ठिकाने से बाहर नहीं आएं। सूत्रों से के अनुसार, पाकिस्तान में पिछले दो वर्षों में ऐसी कम से कम 26 हत्याएं हुई हैं और मारे गए सभी लोग लश्कर-ए-तैयबा, जैशे-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे भारत विरोधी आतंकी समूहों के या तो वर्तमान या पूर्व सक्रिय कार्यकर्ता थे। इनका भारतीय नागरिकों की हत्याएं करने में किसी न किसी तरह का योगदान था। यह आतंकी पाकिस्तान के कराची, सियालकोट, खैबर पख्तूनख्वा, रावलकोट, रावलपिंडी, लाहौर और नीलम घाटी (PoK) जैसे विभिन्न स्थानों में मारे गए हैं।
इसे भारत में इन “अतिवांछित आतंकियों” की पहचान छिपाने की कोश्शिश के रूप में देखा जाता है।
इन सब तथ्यों के आधार पर FATF (वित्तीय कार्रवाई कार्य बल) का कहना है कि दी गई ऋण सहायता से पाकिस्तान सरकार द्वारा आतंकियों का वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग की जाती रही है। य़द्यपि, पाकिस्तानी सरकार इससे इंकार करती रही है लेकिन कोई सबूत नहीं दे पाई है। अंतत: सरकार ने इस अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था को आश्वासन दिया है कि वह अपने देश से आतंकी गतिविधियों को समाप्त करने के लिए विश्वसनीय और प्रभावी कार्रवाई करेगा। हमें इसका यह अर्थ नहीं निकालना चाहिए कि पाकिस्तान शांति के रास्ते पर चलने लगा है। एफएटीएफ के दबाव के कारण इन आतंकियों की हत्या को नकारना ही इस्लामाबाद की मजबूरी हो सकती है। नए आतंकी अपना काम करते रहेंगे। बस पुरानों की चर्चा नहीं होगी। लेकिन प्रश्न उठ रहा है कि फिर पाकिस्तान उनको सुरक्षा क्यों देता है।
एफएटीएफ को इसके फ्रांसीसी नाम ग्रुप डी‘एक्शन फाइनेंसियर के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अंतरसरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 1989 में जी-7 की पहल पर मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने और कुछ हितों को बनाए रखने के लिए नीतियां तैयार करने के लिए की गई थी। विकिपीडिया के अनुसार 2001 में, आतंकवाद के वित्तपोषण को इसमें शामिल करने के अधिकृत किया गया था। यह भी सच है कि आजकल पाकिस्तान जहां एक तरफ अपने भीषण आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है, वहीं दूसरी ओर उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जलील होना पड़ रहा है क्योंकि उस पर आतंकी देश का ‘गोल्डन तगमा’ लग चुका है। इस कारण कोई देश, यहां तक कि सऊदी अरब (जिसे वह अपना खास हितैषी मानता रहा है) भी उसे दो रूपए देने को राजी नहीं है। पाकिस्तानी प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ सऊदी अरब गए (शायद कुछ कर्ज मांगने) तो दो दिन बाद पता चला कि सऊदी अरब ने 3.00 मिलियन डॉलर (ही) दिए। लोग नहीं समझ पाए कि यह कर्ज है या मदद या फिर सिर पर वार कर दी खैरात?
इसी तरह (तुर्किए के मना करने पर भी) शहबाज शरीफ तुर्किए गए और राष्ट्रपति एर्दोआन के गले मिलने लगे तो उन्होंने अलग कर दिया। संयोग से यह कैमरे में आ गया और इन घटनाओं का खुद पाकिस्तानी मीडिया में मजाक बनाया गया कि यह कितने शर्म की बात है एक न्यूक्लिय पॉवर कटोरा लेकर घूम रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों का कहना है कि पाकिस्तानी सेना और उसकी ISI ने ही ऐसे आतंकियों को खड़ा किया था और उन्हें वीआईपी सुविधाएं उपलब्ध कराई थीं। इधर भारत ने इन सब (आतंकियों) के डोजियर बना कर FATF को दे रखे थे। संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान से जुड़े पांच या सात नहीं बल्कि कुल 150 आतंकियों और आंतकी संगठनों को ब्लैकलिस्ट किया है।
इसी मजबूरी में अब इन्हें ‘अज्ञात’ कहें या ‘ज्ञात’ लेकिन तो यह तय है कि पाकिस्तान पर इतना अंतराष्ट्रीय दवाब है कि FATF से प्रतिबंधित होने से बेहतर है ऐसी समस्या को समाप्त कर मुक्ति पाई जाए। उसे खुद ही अपने पाले पोसे आतंकियों को मजबूरी में ठिकाने लगाना पड़ रहा है क्योंकि उस पर आतंकी देश का ‘गोल्ड तगमा’ लग चुका है। पाकिस्तान भी चाहता है आतंकवाद खत्म हो क्योंकि वह जानता है कि उनकी वजह से दुनिया में उसका सम्मान नहीं रह गया है। ऐसे में सुनने में आ रहा है कि पाकिस्तानी सेना ही इनको धीरे धीरे खत्म कर रही है ताकि कोई कोर्ट कचहरी ना हो और ना ही उन्हें भारत या अमेरीका को सौंपना पड़े।
वास्विकता यह है कि इस समय भारत के बढ़ते हुए कद पर विश्व का ध्यान गया है। फिर भी, कुछ विदेशी शक्तियां हमारी प्रगति में बाधा डालने की भरपूर कोशिशें कर रही हैं। इन चुनौतियों के बावजूद, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के प्रति भारत की मजबूत प्रतिक्रिया, खतरों को खत्म करने के लिए देश के दृढ़ संकल्प को दर्शाती है। अब कड़ी निंदा करने के बजाय जैसे को तैसा की प्रतिक्रिया करने से भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीति में बदलाव एक नए युग का प्रतीक है। अपने हितों की रक्षा के लिए देश की प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ रुख का एक उदाहरण है, भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल प्रमुख गैंगस्टरों का सफाया। अब पाकिस्तान खुद अपने आप को आतंक पीड़ित बताकर दुनिया के सामने रो रहा है और आरोप लगा रहा है कि भारत उसकी जमीन पर लोगों को मार रहा है, जबकि उसके पास इसका कोई सबूत नहीं है।
कनाडा : कनाडा में गत जून,2023 में अज्ञात बंदूकधारियों ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर दिन दहाड़े हत्या कर दी थी। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने संसद में आरोप लगाकर कि खालिस्तानी निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट का हाथ है, इसे वैश्विक मामला बना कर इसे भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद खड़ा कर दिया है। इसके तुरंत बाद, दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया। भारत ने भी शुरुआत में कनाडा के लिए अपनी वीज़ा सेवाओं को निलंबित कर दिया था। (लेकिन एक महीने बाद एक चुनिंदा समूहों के लिए इसमें छूट दी गई है।)
भारत ने इसे अनावश्यक और अवांछित कहते हुए ट्रूडो के इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इस बारे में कनाडा के पास अगर कोई सबूत है तो उसे दिए जाएं। लेकिन कनाडा सरकार अभी तक अपने आरोप के संबंध में भारत को कोई सबूत नहीं दे सकी है। जबकि निज्जर खालिस्तान टाइगर फोर्स नाम से एक आतंकी संगठन चलाता था। भारत विरोधी गतिविधियों के लिए भारत सरकार ने साल 2020 में निज्जर को आतंकी घोषित कर दिया था। बहरहाल, निज्जर की हत्या के तथाकथित मामले से भारत और कनाडा के आपसी संबंधों पर विपरीत असर पड़ा है।
अमेरिका : अमेरिकी खुफिया एजेंसी के अधिकारियों ने कुछ दिनों पहले ही अमेरिकी धरती पर खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचे जाने की बात कह कर तहलका मचा दिया था। मैनहट्टन की एक अदालत में अमेरिकी न्याय विभाग ने दायर अभियोग में आरोप लगाया गया कि जिस भारतीय ने पन्नू को मारने के लिए साजिश रची, वह भारत में एक सरकारी अफसर के संपर्क में था। न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के अमेरिकी अटॉर्नी मैथ्यू जी ऑलसेन ने कहा कि अभियोग के अनुसार, 52 वर्षीय भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर आरोप है कि उसने निज्जर को मारने की सुपारी दी थी। इस अपराध में अधिकतम 10 साल जेल की सजा का प्रावधान है। लेकिन इस मामले में भारतीय अधिकारी की पहचान नहीं की गई है, बल्कि अमेरिका ने घटना पर भारत से जांच की मांग की थी। यहां यह जानना जरूरी है कि यह पन्नू कौन है ?
**गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भारत में कई आतंकी घटनाओं की खुद ही जिम्मेदारी ली है। उसने अलग-अलग वीडियो में, अयोध्या में हमला करने, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को धमकी देने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनकी असम यात्रा पर नहीं जाने की धमकी दी थी। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में पन्नू ने दावा किया कि अमृतसर के श्री दुर्गियाना मंदिर का कोई महत्व नहीं है। इसलिए दुर्गियाना मंदिर प्रबंधन को अपने दरवाजे बंद करके, चाबियां स्वर्ण मंदिर को सौंप देने या फिर परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी थी।
पंजाब पुलिस ने कहा कि 23 जनवरी को पन्नू के खिलाफ अमृतसर के सुल्तानविंड पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की गई है जिसमें धर्म और नस्ल के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप में प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस के प्रमुख पर आईपीसी की धारा 153ए (धर्म, नस्ल के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 153बी (विभिन्न धार्मिक, नस्लीय, भाषाई या क्षेत्रीय समूहों के बीच वैमनस्य या नफरत को बढ़ावा देने वाले बयान देना) और 505 के तहत मामले दर्ज हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी कि यूएपीए के तहत पन्नू को आतंकी घोषित किया है। इसके साथ ही सिख फॉर जस्टिस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और उसके लिए इंटरपोल रेड नोटिस जारी करने का अनुरोध किया है।
दो महीने में तीन अन्य प्रमुख खालिस्तानियों की मौत के बाद जून 2023 में, पन्नू भूमिगत हो गया था। जुलाई 2023 में, खालिस्तानी नेता पन्नू, एक वीडियो में फिर से सामने आया, जो शायद संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क के सामने शूट किया गया था। इस वीडियो में, पन्नू उत्तरी अमेरिका और यूरोप में भारतीय राजनयिकों की हत्या के आह्वान वाले पोस्टरों की जिम्मेदारी लेता है और कहता है कि वह भारत से अलग करने के लिए संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर खालिस्तान का झंडा फहराएगा। सितंबर 2023 में, गुरपतवंत सिंह पन्नु ने कनाडा में बसे हिंदुओं को जल्दी से जल्दी कनाडा छोड़ने की धमकी तक दी थी।
अमेरिका के एक मीडिया संस्थान ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि गत अप्रैल में भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से कथित रूप से एक ‘गुप्त आदेश’ (मेमो) भेजा गया था जिसमें उत्तरी अमेरिका के दूतावासों को निज्जर के खिलाफ ठोस कदम उठाने के निर्देश थे और इसके दो महीने बाद ही कनाडा के सर्रे शहर में निज्जर की हत्या हो गई।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस रिपोर्ट को पूरी ‘फर्जी’ तथा ‘मनगढंत’ बताते हुए अमेरिकी मीडिया संस्थानों की आलोचना की और कहा कि यह रिपोर्ट भारत के खिलाफ दुष्प्रचार का हिस्सा है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे मीडिया संस्थान सवालों के घेरे में हैं, जो पाकिस्तानी इंटेलिजेंस के इशारे पर फर्जी एजेंडा चलाने के लिए जाना जाता है।
विदेश मंत्रालय एक बयान में कहा, ‘जो लोग भारत में वॉन्टेड हैं, हम उन्हें यहीं पर न्याय की प्रक्रिया के तहत सजा देना चाहते हैं। हमारा मानना है कि इन लोगों का भारत को प्रत्यर्पण किया जाए।
अंत में : अब अंत में प्रश्न उठता है कि आखिर पाकिस्तान में इन आतंकियों को मार कौन रहा है?
कुछ अति उत्साही यू-ट्यूबर या सोशल मीडिया के दीवाने इसे सरकार के इशारे पर भारतीयों का काम बता रहे हैं। आतंकियों के खिलाफ रहस्यमय कार्रवाइयां प्रधान मंत्री मोदी के नेतृत्व में आतंकवाद के खिलाफ भारत के ‘जीरो-टालरेंस’ के दृष्टिकोण को रेखांकित कर रहे हैं। ऐसी बेसिर पैर की बातों से भरे वीडियो दिन रात यू-ट्यूब पर डाले जा रहे हैं। इनमें से कईयों की नीयत में कुछ खोट है और भारत को बदनाम करने की सोच से भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा देश के दुश्मनों को निपटाने की बात कर रहे हैं। जबकि वास्तव में इन आतंकियों को कोई भारतीय नहीं मार रहा है, सबका उनके अपने ही सफाया कर रहे हैं।
भारत में एक कहावत है कि जब बैल या घोड़ा किसी काम का नहीं रहता तो जंगल में छोड़ दिया जाए। लेकिन पश्चिम में ऐसे जानवरों को गोली मार दी जाती है।
दरअसल भारतीय सुरक्षा बलों की कड़ी मेहनत और बलिदान और इनसे निपटने के लिए भारत सरकार की खुली छूट और सख्ती से कश्मीर घाटी में उग्रवाद में काफी कमी आई है। स्थानीय आतंकी तो गायब हो गए है। पाकिस्तान के (या उसकी तरफ से आने वाले विदेशी) आतंकियों में भी दहशत बैठ गई है। यह लोग जब वांछित नतीजे नहीं दे पा रहे हैं तो इनकी फंडिंग भी बंद हो गई है।
ऐसे आतंकी कृत्यों के कारण पाकिस्तान कई साल से फायनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) में फंसा हुआ है और इससे देश की अर्थव्यवस्था बरबाद हो चुकी है। दुनिया का कोई देश उसकी मदद नहीं कर रहा है।
पहले हालत यह थी कि यही लोग भारत के नकली नोट (करेन्सी) छाप कर भारत में भेजते थे और इसी पैसे से अपने खर्च के साथ साथ अपने आकाओं को भी मौज करवाते, यहां-वहां बम फोड़ते, कुछ लोगों को मार देते और फंड लेतेँ थे।
लेकिन भारत सरकार ने 08 नवम्बर 2016 को इसका पक्का इलाज कर दिया। परिणम यह हुआ कि आतंकी ही नहीं उनके आका भी भूखे मरने लगे हैं। रही-सही बाक़ी कसर एफएटीएफ वालों ने पूरी कर दी है। अब यह खुद अपने देश को भारी पड़ने लगे हैं। अब जब यह आतंकी उनके मालिकों के काम के ही नहीं रहे तो बूढ़े और बीमार घोड़ों की तरह उनके ही मालिकों द्वारा उनको भी गोली मारी जा रही है। लेकिन कुप्रचार किया जा रहा है कि लगता है इन्हें “रा ने मारा है”। (अब यह ‘लगता’ शब्द इसलिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि किसी कानूनी लफड़े से बचा जा सके।) कोई कहता है कि उन्हें अफगानी मार रहे हैं। लेकिन हमारा आंकलन कहता है बीमार घोड़ों की तरह आतंकियों को उनके ही मालिकों द्वारा गोली मारी जा रही है और यही सच्चाई है।
*Well known content writer with six years experience on various current affairs topics.
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