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मौसम बदले तो सावधान रहें।

अपने बच्चों और बुजुर्गों का ध्या,न रखें।

* वैध मोहित आर्य

मौसम बदल रहा है और बदलते मौसम का अनुभव बहुत सुहावना होता है। सर्दियों का मौसम आते ही आपको अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है। कई लोगों का मनपसंद मौसम होने के बावजूद यह सर्दी-जुखाम, बुखार, खांसी और विभिन्न प्रकार के इन्फेक्शन अपने साथ लाता है।

सुबह शाम की ठंड से दिल्ली के अलावा पूरे एनसीआर में प्रदूषण से भी लोगों की तबीयत बिगड़ी हुई है। ऐसे में आजकल ठंड और प्रदूषण के चलते हम लोग खांसी और जुकाम से परेशान दिखाई देते हैं। इससे लोगों में, खासकर बच्चों और बुजुर्गों में बिमारियां भी तेजी से बढ़ रही है। सब जानते है कि बच्चों और बुजुर्गों की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) वैसे भी कमजोर होती है जिसके चलते उन्हें बदलते मौसम में ठंड की शिकायत हो जाती है।

यह समय हर मां के लिए एक चुनौती का समय होता है क्‍योंकि कोई मां कभी नहीं चाहेगी कि बच्चे बीमार पड़ें। उसके मन में यही चिंता लगी रहती है कि उसके बच्चे को कोई संक्रमण या सर्दी-जुकाम न हो जाए इसलिए वह अपने बच्चों को बीमारी से दूर रखने की पूरी कोशिश करती है।

बदलते मौसम में अक्‍सर बच्चे अधिक बीमार पड़ते है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि हम अपने बच्चों का ध्‍यान रखें। कभी आपने सोचा हैं ऐसा क्यों होता है? इसका कारण है मौसमी बदलाव के अनुसार शरीर का तापमान बदलना। जी हां, सर्दी का  मौसम जितना सुकून देता है, उतनी ही बीमारियां भी लाता है।

आजकल सर्दी के समय बैक्टीरिया और वायरस के बढ़ने के ज्यादा अवसर होते है। बच्चों ही नहीं, बुजुर्गों को भी सर्दी, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, छाती में बलगम जमना (चेस्ट कंजेशन होना) आम बात है। इनहीं दिनों में बैक्टीरिया और अन्य कीटाणुओं के कारण निमोनिया वायरस फैलता है। नाक और गले के रास्ते होते हुए ये बैक्टीरिया फेफड़े तक पहुंच जाते है जिससे बाद में उन्हें सांस में तकलीफ जैसी परेशानियां हो सकती है। यह निमोनिया के लक्षण हो सकते है। वैसे भी पांच साल तक के बच्चों में बदलते मौसम और ठंड के समय निमोनिया के मामले काफी तेजी से बढ़ जाते है। अगर इसका समय से इलाज न कराया जाए तो हालत खतरनाक हो सकती है।

हम जानते हैं कि बच्चों को स्कूल जाना होता है और वरिष्ठजन भी बाहर घूमने जाना पसंद करते हैं। लेकिन ऐसी स्थिति में, जब तापमान ठंड हो, तो ऐसे में सर्दी के संपर्क में कम से कम रहें, जब तक बाहर जाने की आवश्यकता न हो, घर के अंदर ही रहें तो अच्‍छा है। फिर भी जरूरी हो तो उचित सावधानियां बरतें।

वैसे तो सर्दी और ठंडे तापमान का असर सभी पर होता है, लेकिन बच्चे और बुजुर्ग (विशेषकर हृदयसंबंधी रोग से ग्रस्‍त) जल्‍दी प्रभावित होते हैं। इसलिए जब तापमान गिर रहा हो, तो उन्हें फ्लू और सर्दियों से जुड़ी अन्य समस्याओं से बचाकर सुरक्षित और स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है। ऐसे में उनके कमरे को हमेशा गर्म रखने के लिए हीटर आदि की व्‍यवस्‍था करें। सर्दियों में हीटिंग के लिए मानक एयर कंडीशनर का तापमान ‘हीट मोड’ में 18 से 22 डिग्री के आसपास सेट करें। यह आपकी इकाई से अधिकतम ऊर्जा दक्षता सुनिश्चित करने के लिए है। एसी की पंखे की स्पीड ‘लो’ से मीडियम के बीच रखनी चाहिए। खिड़कियां बंद रखें। 

*टॉन्सिल बढ़ना बच्चों में पाई जाने वाली यह आम समस्या है। टॉन्सिल में सूजन आ जाने से गले में काफी दर्द होता है और खाना खाने में परेशानी होती है, तेज बुखार भी हो सकता है। यह बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण से हो सकता है। इससे बचने के लिए इस मौसम में ठंडी चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। गर्म भोजन करें और गुनगुने पानी का प्रयोग करें।

*सर्दी के मौसम में अत्यधिक ठंड और नमी के कारण कान में तीव्र संक्रमण (दर्द) होना एक आम समस्या है, जो रात में अधिक हो सकती है। सर्दी से संबंधित इस समस्या का प्राथमिक लक्षण है, कान का बंद होना और खुजली के साथ-साथ तेज दर्द भी हो सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि ऐसे में जल्द से जल्द डॉक्‍टर से परामर्श किया जाए।

*ब्रान्काइटिस फेफड़ों का संक्रमण है। यह श्वास नलियों में होने वाली सूजन की बीमारी है। यह एक गंभीर स्थिति है इसके कारण फेफड़ों के वायु मार्ग में बलगम जमने लगता है। ऐसे में आपको बच्चों के साथ-साथ, स्‍वयं अपनी सुरक्षा के लिए भी एहतियाती उपाय करने आवश्यक हैं। इसके लिए यह छोटे-छोटे घरेलू उपाय भी आज़माए जा सकते हैं।

* भोजन में साबुत दालें (अनाज) उपयोग करें।

* बादाम और अखरोट का सेवन करें।

* हर्बल टी और सूप आदि  जैसे तरल पदार्थों का अधिकसे अधिक उपयोग करें।

* कच्चे प्याज का सेवन करें, इसमें सूजन कम करने के गुण होते है।

* सभी तरह के फल, पालक, गाजर और आंवला आदि अधिक उपयोग करें।

 कपड़ों पर ध्‍यान दें : सर्दी का अर्थ यह नहीं है कि बच्चों को घर में ही बंद रखेंगे, बुजुर्गों को मना करेंगे। बच्चों को स्कूल जाना है, कुछ समय के लिए बाहर खेलने भी जाना होता है। ऐसे में सुनिश्चित करें कि उन्होंने गर्म कपड़े पहने हों और हवा और पानी से सुरक्षित हों।

इसी प्रकार (यदि घर में तापमान बहुत ठंडा है, तो) बुजुर्गों के लिए थर्मोकॉट के इनर्स का उपयोग लाभकारी है। इससे उन्‍हें शरीर को गर्म रखने में मदद मिलती है  साथ ही कान, गर्दन और हाथों की सुरक्षा के लिए दस्ताने, स्कार्फ और मंकी कैप आदि का उपयोग करना बेहतर होगा।

खानपान पर ध्‍यान दें

सर्दी-ज़ुकाम से बचने के लिए सर्दियों के दौरान संतुलित आहार लेना बहुत जरूरी  है। बुजुर्गों और बच्चों को ही नहीं, स्‍वयं भी विटामिनयुक्त फल और सब्जियां का उपयोग करें। सूखे मेवे, उबाली हुई कच्ची सब्जियां, गेहूं का दलिया, साबुत दालें,  दही कुछ बेहतरीन खाद्य पदार्थ हैं जो उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं। 

ऐसे समय बच्चे को थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है और कई बार  इसलिए इस समय बच्चे को आराम करने दें। इस समय बच्चे को खाना निगलने में तकलीफ हो सकती है इसलिए जितना हो सके इस समय बच्चे को गर्म सूप, दलिया, दाल का पानी या खिचड़ी आदि जैसे लिक्विड दे सकते है। ध्‍यान रखें कि भूलकर भी बच्चे को ठंडा जूस और दूध नहीं दें इससे उनकी चेस्ट कंजेशन बढ़ सकती है। इस समय वो जितना आराम करेगा उतना ही स्‍वस्‍थ महसूस करेगा।  इस दौरान रात में सोने से पहले सरसों के तेल में अजवाइन और लहसुन को गर्म करके बच्चे की छाती और पीठ पर अच्छी तरह से मालिश करें तो लाभ होगा। इसके साथ ही, उसके सोने से ठीक पहले “स्वस्थ्य रक्षम” सिरप की 10 मि.ली. मात्रा गर्म पानी या चाय में मिलाकर दे सकते हैं। तुरन्‍त ही कम्‍बल या रजाई ओढा कर सुला दें, यह छाती में जमा बलगम पिघलने में मदद करेगा और इससे बच्‍चे को अधिक राहत मिलेगी। डॉक्टर की सलाह पर बच्चे को भांप भी दे सकते है ।

अध्ययनों से पता चला है कि सर्दी जुकाम की गंभीरता और अवधि कम या अधिक हो सकती है, इससे घबराना नहीं चाहिए। सर्दियों के दौरान, बच्चों को उतना पसीना नहीं आता जितना कि गर्मी के मौसम में आता है। पसीना नहीं आने से प्‍यास नहीं लगती, परिणामस्वरूप वह पर्याप्त तरल पदार्थ नहीं पीते हैं जिससे निर्जलीकरण हो सकता है। इससे बचाने के लिए, विटामिन सी से भरपूर कम चीनी वाले जूस उनके लिए अच्‍छा विकल्प हो सकते हैं। बिना दूध की ग्रीन चाय और गर्म कोको भी अच्‍छा विकल्प हैं क्योंकि यह ‘एंटीऑक्सिडेंट’ का एक बड़ा स्रोत हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं और एक गर्म पेय का भी काम करते हैं।

चूंकि बच्‍चे अधिकतर दिन भर बाहर रहते हैं, इसलिए उनके हाथ गंदे होना स्‍वाभाविक है। इससे संक्रमण फैलने की अधिक संभावना रहती है। यदि पर्याप्त देखभाल न की जाए तो सर्दी, फ्लू और निमोनिया जैसी बीमारियां हो सकती हैं। अक्‍सर बच्चे खाना खाने से पहले हाथ नहीं धोते हैं। उन्हें खाने से पहले गर्म पानी और हैंड सैनिटाइज़र से हाथ धोने के लिए प्रोत्साहित करें।

 यह सारी समस्याएं इसलिए पैदा होती है क्योंकि जैसे ही मौसम में बदलाव होने लगता है वैसे ही शरीर का तापमान भी बदलने लगता है। इसके कारण मौसम के बदलाव के अनुसार बच्चों के शरीर का तापमान के अनुकूल नहीं हो पाता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता भी उनके बीमार पड़ने का एक मुख्य कारण है। छोटे बच्चों की इम्यूनिटी कम होती है और बदलते मौसम के साथ यह और कमजोर होने लगती है। हमेशा से कमजोर इम्यूनिटी वाले बच्चे ज्यादा बीमार पड़ते हैं। हर मौसम में शरीर को कुछ विशेष पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इतना ही नहीं मौसम के अनुसार सही खानपान (डाइट) नहीं होने से भी बच्चे बीमार पड़ सकते है। यदि बच्चों के शरीर की दैनिक तत्वों की जरूरत पूरी नहीं होती है, तो वह बीमार पड़ सकते हैं। इसके अलावा मौसम के हिसाब से बदलता लाइफस्टाइल भी बीमारियों के जोखिम को बढ़ा सकता है।

प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ शरीर में सभी दोषों को दूर रखने के लिए प्राकृतिक अवयवों के उपयोग के बारे में सुझाव देते हैं। आयुर्वेद मौसमी बीमारियों खासकर खांसी और जुकाम को दूर रखने के लिए अदरक, तुलसी, हल्दी, दालचीनी आदि मसालों का भरपूर इस्तेमाल करने की सलाह देता है। इनका सेवन करने के सबसे आसान तरीके हैं हल्दी वाला दूध, तुलसी का पानी और अदरक कैंडी। जहां तक ​​मसालों की बात है, तो सुनिश्चित करें कि आप अपने दैनिक भोजन में किसी न किसी रूप में काली मिर्च, इलायची, दालचीनी को शामिल करें। ठंड का मौसम आने पर खासकर बच्चों और बुजुर्गों को सर्दी-जुखाम पकड़ लेता हैं। सूखे मेवे न केवल आपको ऊर्जा देते हैं, बल्कि शरीर को गर्मी भी देते हैं। इसलिए, अपने बच्चे को ठंड के मौसम में बीमार होने से बचाने के लिए सुनिश्चित करें कि वे बादाम, अखरोट, खजूर, किशमिश और सूखे अंजीर का सेवन करते रहें।

वरिष्ठ नागरिकों के जोड़ों में दर्द

सर्दियों में जोड़ों के दर्द के पीछे कोई वैज्ञानिक या चिकित्सीय प्रमाण नहीं है। बहुत से लोग इससे पीड़ित रहते हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि सर्दियों के मौसम में वायुमंडल के दबाव में गिरावट के साथ शरीर में ‘पेन रिसेप्टर्स’ अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। जिसकी वजह से टिशूज़ में सूजन आ जाती है और जोड़ों में दर्द होने लगता है।

घर का कोई बुजुर्ग यदि जोड़ों के दर्द से परेशान हैं तो यह उपाय कर सकते हैं-

  • गर्म सिकाई करें। यह एक तरह से सूजन-रोधी औषधी के रूप में काम करता हैं और दर्द से राहत देता हैं। गर्म सिकाई के लिए गर्म पानी की बॉटल का इस्तेमाल कर सकते हैं। आजकल बाजार में बिजली के हॉट पैड भी मिल जाते हैं। इनके अलावा, कांच की बोतल में कुछ अधिक गर्म पानी भरकर पतले तौलिए/ कपड़े में लपेटकर बिस्‍तर में रख सकते हैं, इससे उन्‍हें सोने में आसानी होगी।
  • अदरक में भी सूजनरोधी तत्‍व पाए जाते हैं जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं, इसलिए अदरक का अधिक प्रयोग करें।
  • तुलसी जोड़ों के दर्द और गठिया से राहत दिलाने का भी काम करती है। घुटने के दर्द से राहत पाने के लिए दिन में तीन-चार बार तुलसी की चाय पी सकते हैं।
  • हल्दी एक जादुई मसाला है। इसके बहुत से स्वास्थ्य लाभ हैं। इसमें रोगाणुरोधक, सूजनरोधी और गुण होते हैं। राहत के लिए आधा चम्मच पिसी हुई अदरक और हल्दी को एक कप पानी में 10 मिनट तक उबालें, छान लें, स्वादानुसार शहद डालें। इस चाय का सेवन दिन में दो बार कर सकते हैं। 

सर्दी-जुकाम : यह मौसम बदलने पर सबसे आम बीमारी है। इस मौसम में आपको हर दूसरे घर से खांसने-छींकने की आवाज़ें सुनाई देने लगती हैं। जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, वह इससे जल्दी प्रभावित होते हैं। संक्रमण वाली इस बीमारी के वारयस से बचने के लिए साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए। बार-बार हाथ को साबुन से धोते रहें ताकि संक्रमण से बच सकें। यह ऐसा  वायरल इंफेक्शन है, इस कारण इसमें एंटीबायोटिक की जरूरत नहीं होती और यह 5 से 7 दिन में खुद ही ठीक हो जाता है। इसमें भाप, नमक के पानी के गरारे आदि काफी लाभदायक हैं। इसमें गर्म तरल पदार्थ का ज्यादा प्रयोग करना चाहिए। ठंडी चीज़ों आइसक्रीम, कोल्ड-ड्रिंक से दूरी बना कर रखें।

रूखी त्वचा : सर्दियों में अधिक कपड़े पहनने से शरीर को नमी नहीं मिल पाती है, जिससे त्वचा रूखी होकर धीरे- धीरे फटने लगती हैं। त्वचा को रूखेपन से बचाने के लिए मॉइश्चराइजर जरूर लगाएं। इसके लिए मलाई या तेल का भी प्रयोग कर सकते हैं।

दमा (यानि अस्थमा) : यह एलर्जी से संबंधित बीमारी है। सर्दियों में जब कोहरा बढ़ जाता है तो ऐसे मौसम में कोहरे के कारण एलर्जी के तत्व हवा में नहीं उड़ने से, आसपास ही रहते हैं। इससे कई बार स्वस्थ लोगों को भी सांस लेने में दिक्‍कत हो सकती है। लेकिन  अस्थमा के रोगियों को सांस लेने में अधिक तकलीफ होती है। इस कारण इस मौसम में ऐसे लोगों के लिए धूल-मिट्टी से बचना बहुत जरूरी है। यदि दवा खा रहे हैं तो उसे नियमित रूप से लें।

*सर्दियों में अगर शरीर का ताप 34-35 डिग्री से नीचे चला जाए तो उसे अल्प तपावस्था (हाइपोथर्मिया) कहते हैं। इसमें हाथ-पैर ठंडे हो जाते हैं, दिल की धड़न बढ़ जाती है, सांस लेने में तकलीफ हो सकती है साथ ही रक्तचाप (बीपी) कम हो सकता है। यह स्थिति खतरनाक हो सकती है। तेज ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़े पहनें।

*वैध मोहित आर्य, दैविये आयुर्विेद संस्‍थान, बी-13, भूतल (निकट मेट्रो पिलर नं-43, विकास मार्ग, लक्ष्‍मी नगर, दिल्‍ली- 110092

सम्‍पर्क : मोबाइल 9466270004  e-mail : mohit1.daviyie@gmail.com

 

 

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