Videos

श्री राम मंदिर : अयोध्या

आध्यात्मिक पर्यटन के अवसर : एक समीक्षा

                                                                                                                                         *अमित तिवारी

अयोध्या और श्रीराम का जन्मों का अविरल तारतम्य रहा है। श्रीराम जन-जन के नायक और भारतीयता के अभूतपूर्व परिचायक रहे हैं। जिनकी संपूर्ण मानव समाज में एक नायक की भूमिका के साथ-साथ ईश्वरीय रूप में भी आराधना की जाती है। श्रीराम, जिनके चिन्तन में भारतीयता का मूल निहित है, जहां श्रीराम वहां जीवन की रमणीयता और सार्थकता एक विचार के तौर पर ज्ञापित होती है। भारतीय जनमानस और रामत्व के अकाट्य संबंध को पारिभाषित करना समय की चलायमान गति के साथ और भी गहरा होता आया है। भारतीय जनमानस में श्री राम जन्मभूमि के प्रति गहरी आस्था रही है। बीते वर्ष भारतीय हिन्दू समाज की आस्था का केन्द्र रही अयोध्या में श्रीराम लला को उनके स्थान पर ही विराजमान कराए जाने के माननीय उच्चतम न्यायालय की पीठ द्वारा दिए गए ऐतिहासिक निर्णय से उनके भव्यतम मंदिर निर्माण हेतु एक महत्वपूर्ण विवाद का पटाक्षेप हुआ और जिससे नवोदित अवधपुरी या कि सरयू तीरा अयोध्या की पावन भूमि पर विशाल भव्य श्री राम मंदिर के निर्माण का पथ प्रशस्त हो पाया है।

यह तीर्थ हिन्दू आस्था के केन्द्र के तौर पर एक अप्रितम जनमानस की आस्था के  केन्द्र स्वरूप उभरा है और इसके द्वारा संपूर्ण विश्व में श्रीराम की आस्‍था पर आधारित एक विशालतम आध्यात्मिक पर्यटन का केंद्र पुन: प्रस्फुटित हो पाया है, जिसका सम्पूर्ण विश्व के पर्यटन मंच को कई वर्षों से इंतजार था।   विगत 5 अगस्त 2020 को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी द्वारा इस हेतु शिला पूजन का कार्य कर इसका शुभारंभ भी कर दिया गया था।22 जनवरी 2024 को अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। प्राण प्रतिष्ठा को देखते हुए युद्ध स्तर पर तैयारियां जारी हैं। श्रद्धालुओं में भी प्राण प्रतिष्ठा को लेकर गजब का उत्साह है। 22 जनवरी को भारत के प्रधानमंत्री समेत देश की जानी-मानी हस्तियां अयोध्या आएंगी। इस बीच काशी (वाराणसी) के संतों ने भारत सरकार को पत्र लिखकर मांग की है कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा देखने के लिए पूरे देश में 22 जनवरी, 2024 को सार्वजनिक अवकाश घोषित घोषित किया जाना चाहिए।

भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि 500 वर्षों का हमारा संघर्ष रहा है। प्रभु श्री राम के प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर जब देश के प्रधानमंत्री रामलला की मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कर रहे होंगे तो परिवार का हर सदस्य एक साथ उसका दर्शन करे। घर, मंदिर जहां भी हो टीवी स्क्रीन पर इस ऐतिहासिक अनुष्ठान को देखें।

तिथि 5 अगस्त, 2020 को जब भारत के प्रधानमंत्री (श्री मोदी जी) ने स्थल के गर्भगृह में नींव के प्रतीकात्मक चांदी की एक ईंट रखी थी। बाहर सैकड़ों भक्त शहर भर में विशाल स्क्रीन पर इस कार्यक्रम को देख रहे थे। कोविड-19 महामारी के कारण, कार्यक्रम स्थल और आसपास के क्षेत्रों को बंद कर दिया गया था और इसे केवल कुछ विशेष आमंत्रित लोगों तक ही सीमित रखा गया था। कहते हैं कि कार्यक्रम स्थल के बाहर लोगों की भीड़ जमा हो गई थी और जब उन्होंने प्रधानमंत्री को स्‍थल पर नींव रखते हुए देखा तो हर्षोल्‍लास से भर गए।

भारत के प्रधानमंत्री ने कहा था कि अब भगवान राम के लिए एक “भव्य घर” का निर्माण किया जाएगा जो “वर्षों से एक तंबू में” रह रहे थे। वह एक अस्थायी निर्माण का जिक्र कर रहे थे, जिसमें तीन दशकों से अधिक समय से राम लल्ला या शिशु राम की मूर्ति रखी गई थी। इस साल की शुरुआत में मूर्ति को परिसर के एक अस्थायी मंदिर में ले जाया गया था।

इस संदर्भ में उल्‍लेखनीय है कि संपूर्ण अयोध्या, आज अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक व्यापक पर्यटन स्थल की छवि के साथ सामने आई है और इसका विस्तार आगे आने वाले दो वर्षों में एक वृहदतर, अद्भुत पर्यटन नगरी के तौर पर स्थापित होगा। इसमें कही कोई दो राय नही है। साथ ही राज्य शासन और केन्द्र शासन के मार्गदर्शन में अयोध्या नगरी को एक व्यापक पर्यटन आधार दिया जा रहा है। इस हेतु न केवल केन्द्र व राज्य सरकारें और स्थानीय प्रशासन भी अयोध्या के होने वाले भावी कायाकल्प के लिए कटिबद्धता से जुड़े रहे हैं। अयोध्या का आम नागरिक भी इन पर्यटन सम्यक बदलावों के तौर पर इस सुन्दर और शांत नगरी को एक नई ऊर्जावान आध्यात्मिक पर्यटन केन्द्र के तौर पर बदलने और गढने में स्वयं भी योगदान दे रहे हैं।

इतना ही नहीं निजी क्षेत्र भी इस दिशा में महत्वपूर्ण कदमों के साथ नगरी के बृहद बदलाव का भागीदार बनने जा रहा है। पर्यटन जगत की अनेक संस्थाएं इस हेतु प्राण-पण से जुटकर पर्यटक सुविधाओं व यात्री सेवाओं के आंकलित विकास हेतु, अर्थ का नियोजन करते हुए सामाजिक पर्यटन के परंपरागत अयोध्या मॉडल से इतर नई नवेली भव्य आध्यात्मिक पर्यटन नगरी की भव्य तैयारी में जुटा हुआ है जिसकी भव्यता, रम्यता समाज और संपूर्ण राष्ट्र के लिए एक मिसाल स्वरूप साबित होगी। आज के समय में अयोध्या संवर रही है और इसके बदलाव की सुन्दर प्रक्रिया संपूर्ण तीव्रता के साथ इसे एक महतवपूर्ण अंतराष्ट्रीय स्तर के तीर्थ क्षेत्र बना बृहतर आध्यात्मिक पर्यटन केन्द्र के तौर पर इसे गढ़ने के नए स्वप्न को साकार रूपता दे रही है।

अयोध्या के परिपेक्ष्य में यदि घरेलू पर्यटक की आमद के सरकारी आंकडों पर गौर करें तो लगभग 18.5 करोड़ पर्यटकों द्वारा वर्ष 2019 में इस पुनीत नगर का भ्रमण किया गया था। इस परिपेक्ष्य में आंकडों को यदि और गंभीरता से खंगाले तो यह स्पष्ट होता है कि इसमें से 60 प्रतिशत लोगों के भ्रमण का उद्देश्य केवल आध्यात्मिक पर्यटन रहा है अर्थात् लगभग 11 करोड लोगों का मूल उद्देश्य इस आध्यात्मिक स्थान का भ्रमण करना रहा था, इससे इस केन्द्र की आध्यात्मिक महत्ता का स्वतः प्रमाण मिल जाता है।

 अयोध्या का पर्यटन समुच्चय :   अयोध्या स्वयं में एक मंदिरों की नगरी रही है। लेकिन किंचित कारणों से बीते कई वर्षों में यहां यथेष्ट विकास को बल नहीं मिल पाया है। इस परिपेक्ष्य में भारतीयता  के मूल तत्व श्री राम के नायकत्व रूप की भव्य प्रतिष्ठा श्री राम मंदिर के निर्माण से सजीव हो उठी है। इस भव्य मंदिर के निर्माण के साथ साथ नगर में अनेकानेक पर्यटन विकास योजनाएं तेजी से विस्तार ले रही हैं। इस पुनीत कार्य हेतु पर्यटन स्‍थलों पर सुविधा संरचना निर्माण में भारत सरकार द्वारा भी अनेक योजनाओं, के माध्‍यम से एक बड़ा योगदान दिया गया है, जिनमें पर्यटन मंत्रालय द्वारा शुरू की गई ‘प्रशाद’ तथा शहरी विकास मंत्रालय द्वारा संचालित ‘हृदय’ जैसी केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएं प्रमुख रही हैं। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा अयोध्या से जुडे राष्ट्रीय राजमार्गों के विस्तार और अयोध्या नगरी के पहुंच मार्गों को जोडने का काम भी व्यापक स्तर पर किया है। यही नहीं भारत सरकार के रेल मंत्रालय तथा नागरिक उड्डयन मंत्रालय विशेष पूंजी निवेश द्वारा राज्य शासन द्वारा प्रदत्त भूमि पर अंतराष्ट्रीय स्तर के निर्माण पर आधारित मूलभूत सुविधाओं के विकास के कार्य कराए गए हैं। PHOTO

इसी के निमित्‍त पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा अनेक महत्वपूर्ण विषय आधारित पर्यटन परिपथों (सर्किट) की योजना को कई वर्षों के सक्रिय प्रयास से अमली जामा पहनाया गया है। पर्यटन मंत्रालय की ‘स्वदेश दर्शन योजना’ द्वारा समेकित एक विशेष विषय पर आधारित पर्यटन परिपथ का सुव्यवस्थित निर्माण भी इस दिशा में अयोध्‍या को नए आयाम देने जा रहा है। अयोध्‍या आधारित पर्यटन परिपेक्ष्य में ‘‘रामायण परिपथ’’ के लिए पर्यटन मंत्रालय द्वारा वित्त वर्ष 2017-18 में लगभग 127 करोड़ रूपए आवंटित किए गए। इस कड़ी में, ‘श्री रामकथा भव्य गैलरी’, ‘आध्यात्मिक पार्क’, ‘श्री राम की पेडी’, ‘गुप्तार घाट’, ‘लक्ष्मण किला घाट’, ‘अयोध्या गली का कायाकल्प’, ‘दिगम्बर अखाडा’ समेत अनेक परियोजनाएं क्रमबद्धता से जारी हैं। सोलर लाइटिंग, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, जलनिकासी की उपयुक्त व्यवस्था, पर्यटक पुलिस बूथ, विभिन्न प्रकार के संकेतक (साइनेज) आदि को विकसित किया जा गया है। पूरी नगरी को अनेक अलग अलग विभिन्‍न क्षेत्रों में वर्गीकृत करके आधुनिकतम आवश्यकताओं के अनुरूप उसकी ‘लैंडस्केपिंग’ करके भविष्य की आवश्यकताओं के लिए विकसित किया गया है।

इन सबके माध्‍यम से अयोध्‍या नगरी के स्‍वरूप को बदलकर, इसे आध्यात्मिक पर्यटन के एक भव्य केन्द्र के तौर पर मूर्त रूप देने की प्रक्रिया निरंतर गढ़ी जा रही है। अयोध्या को अंतराष्ट्रीय पर्यटक मानचित्र पर लाने के लिए अनेक पर्यटन योजनाएं भी लागू की गई हैं जिनमें ‘चित्रकूट और श्रृंगवेपुर परिपथ’ के विकास व उसके अयोध्‍या से समायोजन और ‘राम वन गमन पथ’ व संपूर्ण देश में फैले रामायण के महत्‍वपूर्ण केन्द्रों को पर्यटक स्थलों के रूप में परिवर्तित और विकसित कर अयोध्‍या को आवागमन के उचित माध्‍यमों से जोडकर पर्यटकों को व्यापक रूप से आकर्षित करना है जिसमें मुख्‍य पर्यटक अंतराष्‍ट्रीय परिदृश्‍य से भी होगा। इससे देश में अंतराष्‍ट्रीय पर्यटक विभिन्‍न प्रवेश द्वारों के माध्‍यम से होता हुआ रामायण परिपथ और अयोध्‍या धाम तक अपनी पहुंच सुनिश्चित कर पाएगा। उनकी पहुंच के साथ-साथ अंतराष्‍ट्रीय स्‍तर की सुविधाओं का विकास किया जा रहा है, जिनमें मुख्‍यत: आवागमन, आतिथ्‍य आवास, भोजन, साधना-आध्‍यात्म केन्‍द्र आदि प्रमुख हैं। साथ ही एक स्‍तरीय सेवा तंत्र के साथ संपूर्ण अयोध्‍या की ब्रांडिंग एक अभूतपूर्व ‘‘राम आधारित अंतराष्‍ट्रीय आध्यात्मिक पर्यटन केन्‍द्र’’ के तौर विश्‍व में विदित कराई जा सकें और अंतराष्‍ट्रीय स्‍तर पर आध्यात्मिक तथा अन्‍य पर्यटकों का आगमन सुनिश्चित किया जा सके। अयोध्‍या तीरा सरयू का पुर्नोद्धार और निर्मलीकरण तथा उसके जल व घाटों पर बेहद व्यापक स्तर पर पर्यटन आधारित गतिविधियों राम कथा व कला केन्‍द्रों का एक अभिनव विकास कार्य भी किया जा रहा है जो पर्यटन के दृष्टिकोण से एक नवाचार है।

श्री राम मंदिर का भव्य प्रासाद :

युगों की लंबी प्रतीक्षा के बाद श्रीराम मंदिर का भव्य निर्माण पूर्व में निर्धारित विश्व हिन्दू परिषद द्वारा प्रस्तावित नक्शे के आधार पर किया जाना तय हुआ था, किन्तु हर बार कई उत्कृष्ट व समयोजित संशोधनों के उपरांत मंदिर के जिस मॉडल को मंदिर निर्माण समिति द्वारा स्‍वीकृति दी गई है, उसके अनुसार पांच एकड़ के क्षेत्र में फैले मंदिर का एक मुख्य शिखर होगा और इसके अतिरिक्त पांच अन्‍य उपशिखर होगे। 318 स्‍तंभों पर आधारित यह मंदिर तीन स्तरों का होगा। मंदिर में मुख्य मूर्ति रामलला की ही होगी इनके अलावा स्‍तंभों पर उत्‍कीर्ण अनेक देवी देवताओं की मूर्तियां को कलात्मक तौर पर उकेरा जाएगा।

भारतीय मंदिर विज्ञान पर आधारित संपूर्ण कलात्मकता और वास्तुशिल्प की सारी वैज्ञानिकता लिए यह मंदिर लगभग 160 फीट से अधिक ऊंचा, 300 फीट लंबा तथा 230 फीट से अधिक चौड़ा है। मुख्य मंदिर के पास के परिक्रमा पथ  को एक उत्कीर्ण पथ की शैली में विकसित किया गया है। गर्भगृह भव्यता और दिव्यता लिए हुए है। संपूर्ण मंदिर प्रासाद में कई आध्यात्मिक केन्दों के साथ हजारों श्रद्धालुओं के शामिल होने की जगह, रूककर दर्शन, ध्‍यान आदि करने हेतु  चिन्तन भवन व संगत हेतु विशालतम परकोटे विकसित किए गए हैं, जिनकी देखभाल मंदिर प्रशासन अपने देख-रेख में करेगा।

इन सबके साथ साथ अयोध्या के विकास में इस मंदिर को एक पारंपरिक धार्मिक केन्द्र से इतर, एक आध्यात्मिक केन्द्र व साधना के लिए प्रासंगिक भव्य अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन संरचना के मॉडल के तौर पर विकसित किया जा रहा है।

इस हेतु अनेक प्राइवेट ट्रेवल कंपनियों, जिनमें एसओटीसी, थॉमस कुक, हॉलिडे इन आदि के द्वारा संपूर्ण पर्यटन अनुभव उपलब्‍ध कराने के लिए विभिन्न पैकेज टुअर्स आइटनरीज में, इसे शामिल कर इसके व्यापक प्रचार का प्रयास भी तेजी पर है।

इस परिदृश्य के बदलते ही राम नगरी अयोध्या में पर्यटक उद्योग की नई संरचना जिसमें सभी हितधारकों के लिए सामाजिक व आर्थिक उत्थान के सोपान सुनिश्चित होंगे। निश्चित तौर पर व्यापक आतिथ्य-पर्यटन सेवा जिनमें बड़े होटलों की श्रृंखला (चेन्स), रेस्टोरेंट एवं आहार क्षेत्र, आवागमन हेतु व्यापक पर्यटक आधारित परिवहन तंत्र और संरचना विकास के साथ सतत् पर्यावरण और क्षेत्र के जैवकीय तंत्र को संरक्षित रखते हुए, व्यापक स्तर पर एक सतत, संधारणीय आध्यात्मिक पर्यटन पंरपरा के नए केन्द्र के तौर पर राममयी नई अयोध्या को गढा और विकसित किया जा रहा है।

गणतंत्र दिवस 2021 के अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से राजपथ पर प्रदर्शित झांकी।

यह ‘सीया-राम मय सब जग जानी’ की भावना लिए संपूर्ण जनमानस और आध्यात्मिक रसिकों को एक नए केन्‍द्र के तौर पर उपलब्‍ध होगी। उद्यमशीलता के नए अवदान गढ़ती अयोध्या नगरी अपने अतीत से भविष्य के संदर्भ लेकर आगे एक अप्रितम आध्यात्मिक पर्यटन केन्‍द्र का बाना बुनती राम-रसिकों को पुकार रही है।

आइए हम भी एक बार अयोध्‍या के दर्शन कर लें।

*लेखक पर्यटन अध्‍ययन विषय के विशेषज्ञ है। भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंध संस्‍थान, (पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार का एक स्‍वायत्‍त निकाय), ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में सहायक प्राध्यापक (पर्यटन प्रबंधन) हैं।  लेख में प्रस्‍तुत विचार उनके निजी विचार हैं।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button