भारत सरकार से सेवानिवृत्त

अनिल मिश्रा

बख्तियार खिलजी ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया,

फिर भी सरकार ने बख्तियार पुर का नाम नहीं बदला, क्यों?

 

बख्तियार खिलजी स्मारक बनाया जाना चाहिए नालंदा विश्वविद्यालय के प्रांगण में दो टॉयलेट के बीच में। एक प्रतीकात्मक श्वान की मूर्ति लगाकर उसकी पूजा करनी चाहिए। चप्पल मार पूजा जो भी वहां जाय पांच जूते मार कर आये। सिर्फ रोष प्रदर्शित करे लेकिन अपमान न करे और अपमान करने का मन हो तो सूकर या पंकक्रीण की मूर्ति स्थापित करवाई जा सकती है। अब रही बख्तियार पुर का नाम बदलने की बात तो भाई हमारे बिहारी भाई लोग ट्रेन जलाने ,कोचिंग करने ,प्रयागराज, बनारस, दिल्ली और मुंबई में पढ़ाई करने में व्यस्त रहते हैं और आजकल सारी बीमारियों के इलाज के लिए जातिगत जनगणना में लगे हैं। बख्तियार पुर का नाम बिहार वाले ही बदलेंगे हिमाचल प्रदेश वाले थोड़ी न बदलेंगे। कैमूर जिले के चैनपुर प्रखंड के मदुरना गांव से सटे पहाड़ी के पास मोहम्मद बख्तियार खिलजी का मकबरा है।

गांव के बीच एक सूनसान सड़क पर इस सूनसान भुतहे भवन के बाहर एएसआई का बोर्ड लगा देखा तो जिज्ञासा हुई कि कैसा भवन है यह?  पास गया तो पाया नालंदा विश्वविद्यालय के हजारों भिक्षुओं की हत्या का दोषी बख्तियार खिलजी का मकबरा है जहां उस सड़-गल कर मिट्टी में मिल चुकी लाश अपने कुकर्मों कुकृत्यों के इंसाफ के लिए अल्लाह का इंतजार कर रही है जब उसे जहन्नुम यानी कुम्भीपाक नरक भेजा जाएगा। वैसे तो इन राक्षसों का हजार बार सुअर योनि में मृत्युलोक में आना तय है लेकिन……

चित्र में बख्तियार खिलजी का खोजा यानी सूनसान मकबरा और यह एएसआई द्वारा संरक्षित भवन है।

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